राफेल सौदे के ऑडिट का ब्योरा देने से कैग ने किया इन्कार

भारत के नियंत्रक और महालेख्रापरीक्षक (कैग) ने एक आरटीआइ का जवाब देते हुए राफेल युद्धक विमान सौदे के ऑडिट का ब्योरा देने से इन्कार कर दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 15 Jan 2019 06:35 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jan 2019 06:35 PM (IST)
राफेल सौदे के ऑडिट का ब्योरा देने से कैग ने किया इन्कार
राफेल सौदे के ऑडिट का ब्योरा देने से कैग ने किया इन्कार

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत के नियंत्रक और महालेख्रापरीक्षक (कैग) ने एक आरटीआइ का जवाब देते हुए राफेल युद्धक विमान सौदे के ऑडिट का ब्योरा देने से इन्कार कर दिया है। कैग का कहना है कि ऑडिट (हिसाब-किताब) की प्रक्रिया अभी जारी है। और ऐसे मौके पर इसे सार्वजनिक करना संसद के विशेषाधिकार का हनन होगा।

कैग से रिपोर्ट मांगने वाले पुणे के एक आरटीआइ कार्यकर्ता विहार दुर्वे की याचिका पर देश के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) ने कहा है कि ऑडिट का काम अभी खत्म नहीं हुआ है और रिपोर्ट को भी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।

इस संबंध में सूचना आरटीआइ की धारा 8(1)(सी) के तहत सार्वजनिक नहीं की जा सकती है। अन्यथा संसद का विशेषाधिकार हनन होगा। सूचना के अधिकार के अधिनियम की धारा 8(1)(सी) के तहत जानकारी देने से संसद या विधानसभा के विशेषाधिकार का हनन होता है।

36 राफेल युद्धक विमान हासिल करने के संबंध में भारत और फ्रांस के बीच हुए समझौते को चुनौती देने वाली एक याचिका को पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि इस समझौते पर संदेह करने का कोई आधार नहीं है।

उसने याचिका में 58,000 करोड़ रुपये के दोनों सरकारों के बीच हुए सौदे के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने और उसके खिलाफ जांच कराने की आवश्यकता को भी नकार दिया था। सरकार के सीलबंद लिफाफे में दिए नोट पर सर्वोच्च अदालत में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने कहा था कि कैग से कीमतों का ब्योरा साझा किया जा चुका है। इसका परीक्षण पीएसी कर चुकी है।

उल्लेखनीय है कि इसके बाद कांग्रेस ने आपत्ति उठाते हुए कहा था कि पीएसी के सामने कैग की ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है। इस पर सरकार ने तुरंत सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटा कर फैसले में कुछ तथ्यात्मक सुधार करने की अपील की थी।

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