महाराष्ट्र सिंचाई घोटाले के 9 मामले हुए बंद, ACB ने कहा- अजीत पवार से जुड़ा कोई मामला नहीं

सिंचाई घोटाले मामले पर एसीबी निदेशक ने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के खिलाफ हम सिंचाई संबंधी शिकायतों में लगभग 3000 टेंडर्स की जांच कर रहे हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Mon, 25 Nov 2019 04:25 PM (IST) Updated:Tue, 26 Nov 2019 12:27 AM (IST)
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाले के 9 मामले हुए बंद, ACB ने कहा- अजीत पवार से जुड़ा कोई मामला नहीं
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाले के 9 मामले हुए बंद, ACB ने कहा- अजीत पवार से जुड़ा कोई मामला नहीं

राज्य ब्यूरो, मुंबई। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 2013 में दर्ज 71,000 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ मामले सोमवार को बंद कर दिए। एसीबी का कहना है कि जो नौ केस बंद किए गए हैं, उनका अजीत पवार से कोई संबंध नहीं है। इनमें से कुछ मामले विदर्भ सिंचाई विकास निगम (VIDC) से जुड़े हैं, तब अजीत पवार उसके अध्यक्ष थे।

2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बनाया था मुद्दा

एसीबी की इस सफाई के बावजूद इन मामलों के बंद होने से लोगों के कान खड़े हो गए हैं। 2014 के विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव से पहले इन मामलों को भाजपा ने अपनी चुनावी रैलियों में खूब भुनाया था। तब स्वयं देवेंद्र फड़नवीस यह कहते घूम रहे थे कि भाजपा सत्ता में आई तो सिंचाई मंत्री अजीत पवार जेल में चक्की पीसेंगे। लेकिन अब फड़नवीस के साथ ही उपमुख्यमंत्री के रूप में अजीत पवार शपथ ले चुके हैं। शपथ ग्रहण के तीसरे दिन ही ये मामले बंद कर दिए गए हैं।

एसीबी अधिकारी परमवीर सिंह के अनुसार सिंचाई से जुड़ी शिकायतों के मामले में करीब 3000 निविदाओं की हम जांच कर रहे हैं। ये नियमित जांच हैं, जो बंद हुई है। बाकी मामलों में हमारी जांच अब भी जारी है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में 1999 से 2009 के बीच कथित तौर पर 70 हजार करोड़ रुपये का सिंचाई घोटाला हुआ था। जिसमें महाराष्ट्र में हुए करीब 70 हजार करोड़ के कथित सिंचाई घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने नवंबर 2018 में अजीत पवार को जिम्मेदार ठहराया था। महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया था कि करोड़ों रुपये के कथित सिंचाई घोटाला मामले में उसकी जांच में अजीत तथा अन्य सरकारी अधिकारियों की ओर से भारी चूक की बात सामने आई है। यह घोटाला करीब 70,000 करोड़ रुपए का है, जो कांग्रेस- एनसीपी के शासन के दौरान अनेक सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने और उन्हें शुरू करने में कथित भ्रष्टाचार तथा अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। 

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