Sohrabuddin Encounter: CBI ने कुछ नेताओं को फंसाने के लिए गढ़ी कहानी
सीबीआई जैसी प्रतिष्ठित एजेंसी ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस से पहले भी नेताओं और एजेंसियों को किसी भी तरह से फंसाने के लिए नई कहानी तैयार की।
नई दिल्ली, एएनआइ। विशेष सीबीआइ अदालत ने कहा है कि गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच सीबीआइ पूर्व नियोजित और पूर्व निर्धारित थ्योरी के आधार पर कर रही थी ताकि राजनीतिक नेताओं को उसमें फंसाया जा सके।
विशेष सीबीआइ जज एसजे शर्मा ने 21 दिसंबर को अपने 350 पन्नों के आदेश में यह टिप्पणी की थी। उन्होंने तीन लोगों की मौत पर दु:ख व्यक्त करते हुए इस मामले के सभी 22 आरोपितों को बरी कर दिया था। फैसले की प्रति अभी भी उपलब्ध नहीं है, लेकिन शुक्रवार को इसके कुछ अंश मीडिया को उपलब्ध कराए गए।
अपने आदेश में जज शर्मा ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती (जज एमबी गोसावी) ने आरोपित नंबर 16 (भाजपा अध्यक्ष अमित शाह) को बरी करने का आदेश सुनाते हुए कहा था कि जांच राजनीति से प्रेरित थी। जज शर्मा ने कहा, 'मेरे समक्ष पेश की गई सारी सामग्री पर निष्पक्ष विचार और हर गवाह व साक्ष्य के परीक्षण के बाद मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सीबीआइ जैसी प्रतिष्ठित जांच एजेंसी के पास पूर्व नियोजित और पूर्व निर्धारित थ्योरी थी और इसकी पटकथा का मकसद राजनीतिक नेताओं को फंसाना था।'
उन्होंने कहा कि मामले की जांच करने की बजाय सीबीआइ कुछ और ही कर रही थी। सीबीआइ ने कानून के मुताबिक जांच करने की बजाय वही किया जो 'मकसद' हासिल करने के लिए जरूरी था। इसके लिए सीबीआइ ने साक्ष्य निर्मित किए और आरोपपत्र में गवाहों के बयान दिए। ऐसे बयान अदालत में टिक नहीं सकते और गवाह अदालत में बेखौफ पेश हुए। उनकी गवाही से संकेत मिलता है कि सीबीआइ ने उनके बयान गलत दर्ज किए ताकि राजनीतिक नेताओं को फंसाने की उसकी पटकथा की पुष्टि हो सके। सीबीआइ ने जल्दबाजी में पुलिसकर्मियों को फंसाया जिन्हें साजिश की कोई जानकारी ही नहीं थी। इसकी बजाय वे निर्दोष प्रतीत हुए।
आदेश के मुताबिक, सीबीआइ के पास इस थ्योरी को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं था कि मारे गए तीनों लोगों का पुलिस टीम ने अपहरण किया था। सीबीआइ यह साबित करने में भी नाकाम रही कि आरोपित पुलिसकर्मी घटनास्थल पर मौजूद थे। न ही ऐसा कोई गवाह पेश हुआ जो कहे कि पुलिसकर्मियों को सरकारी हथियार दिए गए थे।