बाबा रामदेव ने अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने का किया समर्थन, कही ये बात

रामदेव ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाए जाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र एक कानून पर देश को चलना चाहिए।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 26 Feb 2019 08:20 AM (IST) Updated:Tue, 26 Feb 2019 08:29 AM (IST)
बाबा रामदेव ने अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने का किया समर्थन, कही ये बात
बाबा रामदेव ने अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने का किया समर्थन, कही ये बात

नई दिल्ली, एएनआइ। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35-ए को लेकर मचे सियासी घमासान में योगगुरु बाबा रामदेव भी कूद गए हैं। रामदेव ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाए जाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक कानून' पर देश को चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को स्पेशल राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35-ए को संविधान से हटा देना चाहिए।

बाबा रामदेव ने उठाया सवाल
बाबा रामदेव ने कहा कि सिर्फ कश्मीर के लोग के लोग स्पेशल क्यों? देश के सभी लोगों के लिए एक ही कानून होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कश्मीरी देश के किसी भी हिस्से से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन गैर कश्मीरी वहां पर चुनाव क्यों नहीं लड़ सकते? रामदेव ने कहा कि पूरे देश को एकजुट होना चाहिए और संगठित होकर काम करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में चल रही मामले की सुनवाई
जम्मू कश्मीर के स्थाई निवासियों को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट इसी सप्ताह सुनवाई कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट की साप्ताहिक सूची में यानी 26 से लेकर 28 फरवरी तक, यह केस शामिल है लेकिन सुप्रीम कोर्ट की मंगलवार की नियमित सुनवाई सूची में यह केस शामिल नहीं है जिसका मतलब है कि 26 फरवरी को सुनवाई की संभावना नहीं है। हालांकि 27 या 28 को मामले पर सुनवाई हो सकती है।

क्या है अनुच्छेद 35ए?
1954 में राष्ट्रपति आदेश से संविधान मे जोड़ा गया अनुच्छेद 35ए जम्मू कश्मीर के स्थाई निवासियों को विशेष अधिकार देता है। इस अनुच्छेद के मुताबिक जम्मू कश्मीर के बाहर का निवासी राज्य में जमीन नहीं खरीद सकता। यह अनुच्छेद राज्य के बाहर के निवासियों से शादी करने वाली राज्य की महिलाओं को और उनके उत्तराधिकारियों को पैत्रिक संपत्ति के हक से वंचित करता है।

क्‍या है धारा 370?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक 'अस्‍थायी प्रबंध' के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाला राज्य का दर्जा देता है। भारतीय संविधान के भाग 21 के तहत जम्मू और कश्मीर को यह अस्थायी, परिवर्ती और विशेष प्रबंध वाले राज्य का दर्जा हासिल होता है। भारत के सभी राज्यों में लागू होने वाले कानून भी इस राज्य में लागू नहीं होते हैं। 

संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए। इस धारा के मुताबिक रक्षा, विदेश से जुड़े मामले, वित्त और संचार को छोड़कर बाकी सभी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य से मंजूरी लेनी पड़ती है।

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