शाह ने देश में फैली भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा- मोदी सरकार के दौरान नहीं खुले डिटेंशन सेंटर

पाक अफगान बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को देश से बाहर निकालने की अफवाहों पर अमित शाह ने कहा कि किसी भी विदेशी को भारत से बाहर भेजने से कोई लेना-देना नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 24 Dec 2019 09:24 PM (IST) Updated:Wed, 25 Dec 2019 07:26 AM (IST)
शाह ने देश में फैली भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा- मोदी सरकार के दौरान नहीं खुले डिटेंशन सेंटर
शाह ने देश में फैली भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा- मोदी सरकार के दौरान नहीं खुले डिटेंशन सेंटर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने एक बार फिर सीएए, एनआरसी और डिटेंशन सेंटर को लेकर फैलाई जा रही कई भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया। गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि डिटेंशन सेंटर को लेकर कही जा रही बातें पूरी तरह निराधार है और मोदी सरकार के दौरान कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया गया है।

बलूच, अहमदिया, रोहिंग्या को भारत की नागरिकता हासिल करने से नहीं रोकता है सीएए

इसी तरह सरकार की ओर से प्रश्नोत्तरी जारी कर साफ किया कि सीएए आने के बाद भी रोहिंग्या, अहमदिया और बलूचियों के लिए भारत की नागरिकता हासिल करने का रास्ता बंद नहीं होगा। नागरिकता प्राप्त करने का नियम है और वह इसके तहत आवेदन कर सकते हैं।

विदेशी नागरिकों के वीजा शर्तो के उल्लंघन में डिटेंशन सेंटर में रखे जाने का है प्रावधान

डिटेंशन सेंटर पर स्थिति साफ करते हुए अमित शाह ने कहा कि विदेशी नागरिकों के वीजा शर्तो के उल्लंघन या किसी अन्य नियम के उल्लंघन करने की स्थिति में उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखे जाने का प्रावधान है। ऐसे विदेशी नागरिकों को वापस अपने देश भेजे जाने तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। इसके लिए देश के कुछ भागों में डिटेंशन सेंटर पहले से मौजूद हैं।

डिटेंशन सेंटर का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं- शाह

उन्होंने कहा कि ऐसे विदेशी नागरिकों को प्रत्यपर्ण के पहले डिटेंशन सेंटर में रखे जाने का प्रावधान पूरी दुनिया में है। उन्होंने साफ किया कि इसका एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।

शरणार्थियों की देखभाल करने को तैयार है भारत

सरकार की ओर से यह भी साफ किया गया कि संयुक्त राष्ट्र के प्रावधानों के तहत भारत अपने यहां शरणार्थियों की देखभाल का दायित्व पूरी तरह वहन करने के लिए तैयार है और इससे पीछे हटने का सवाल नहीं उठता है।

स्थिति सुधरने पर तमिल, तिब्बती, रोहिंग्या विदेशी शरणार्थी अपने देश वापस चले जाएंगे

यहां फिलहाल दो लाख श्रीलंकाई तमिल और तिब्बती, 15 हजार से अधिक अफगान, 20-25 हजार रोहिंग्या समेत सैंकड़ों अन्य विदेशी शरणार्थी रह रहे हैं। सरकार को उम्मीद है कि इन देशों में कभी स्थिति सुधरने के बाद ये शरणार्थी अपने देशों में वापस चले जाएंगे।

अफगान, पाक और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता

अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, क्रिश्चियन और पारसी को सीएए के तहत नागरिकता देने की जरूरत स्पष्ट करते हुए सरकार की ओर से बताया गया कि इस कानून में इस सच्चाई को स्वीकार किया गया है कि इन तीन देशों में अल्पसंख्यकों के लिए उत्पीड़न का माहौल सुधरने वाला नहीं है।

किसी भी विदेशी शरणार्थी मुसलमान को भारत से बाहर नहीं भेजा जाएगा

सीएए के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को देश से बाहर निकालने की अफवाहों पर सरकार ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि सीएए का किसी भी विदेशी को भारत से बाहर भेजने से कोई लेना-देना नहीं है।

विदेशी नागरिक को देश से बाहर भेजने की प्रक्रिया कानून के तहत की जाती है

किसी भी विदेशी नागरिक को देश से बाहर भेजने, चाहे वह किसी भी धर्म या देश का हो, की प्रक्रिया फॉरनर्स ऐक्ट 1946 और पासपोर्ट ऐक्ट 1920 के तहत की जाती है। ये दोनों कानून, सभी विदेशियों- चाहे वे किसी भी देश अथवा धर्म के हों, देश में प्रवेश करने, रिहाइश, भारत में घूमने-फिरने और देश से बाहर जाने की प्रक्रिया को देखते हैं।

देश से बाहर भेजने की प्रक्रिया तभी शुरू होती है, जब कोई व्यक्ति विदेशी साबित हो जाए

इसके तहत राज्य सरकारों और उनके जिला प्रशासन के पास अधिकार होता है, जिससे वे गैर-कानूनी रूप से रह रहे विदेशी की पहचान कर सकता है, हिरासत में रख सकता है और उसके देश भेज सकता है। देश से बाहर भेजने की प्रक्रिया तभी शुरू होती है, जब कोई व्यक्ति विदेशी साबित हो जाए। यही नहीं, संबंधित देश के दूतावास/उच्चायोग को जानकारी देकर उन्हें वापस भेजने की व्यवस्था की जाती है।

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