Air Pollution: खोखले साबित हुए कृषि मंत्रालय के दावे, पंजाब व हरियाणा में खूब जली पराली

दिल्ली समेत एनसीआर में दिवाली के दिन 27 अक्टूबर के अगले दिन से ही प्रदूषण के धुंध की मोटी चादर छायी हुई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 04 Nov 2019 08:50 PM (IST) Updated:Mon, 04 Nov 2019 08:50 PM (IST)
Air Pollution: खोखले साबित हुए कृषि मंत्रालय के दावे, पंजाब व हरियाणा में खूब जली पराली
Air Pollution: खोखले साबित हुए कृषि मंत्रालय के दावे, पंजाब व हरियाणा में खूब जली पराली

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पराली प्रबंधन में राज्यों की नाकामी का ठीकरा कृषि मंत्रालय के माथे पर फूट रहा है। ठंड शुरु होने के पहले किये जा रहे उसके दावे खोखले साबित हुए हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की पराली जलाने की घटनाओं में मामूली कमी जरूर आई है, लेकिन एनसीआर में प्रदूषण का धुंध किसी मामले में कम नहीं हुआ है। हालांकि इस बारे में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा 'इस दिशा में केंद्र के उपायों के चलते पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है।' उन्होंने राज्यों से सहयोग की अपील की है।

कृषि मंत्री ने कहा- पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई

कृषि मंत्री तोमर ने राष्ट्रीय राजधानी प्रक्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण की समस्या को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि केंद्रीय योजनाओं के चलते पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। तोमर सोमवार को यहां कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के एक समारोह में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लिए केवल पराली का जलना जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने राज्य सरकारों से प्रदूषण बढ़ाने के अन्य कारणों का भी पता लगाने को कहा।

27 अक्टूबर से प्रदूषण के धुंध की मोटी चादर छायी हुई है

दिल्ली समेत एनसीआर में दिवाली के दिन 27 अक्टूबर के अगले दिन से ही प्रदूषण के धुंध की मोटी चादर छायी हुई है। वर्ष 2018 में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने दिल्ली से लगे राज्यों के किसानों की मदद के लिए कई योजनाएं शुरु की। इसमें किसानों को नई तरह की कृषि मशीनरी मुहैया कराई जा रही है, जो खेतों में बची पराली को हटाने में मदद करेगी। तोमर ने कहा कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के किसानों को सब्सिडी की सहायता दी गई।

हैप्पी सीडर से पराली जलाने पर पूर्ण रोक लगेगी

कृषि मंत्रालय ने अगस्त माह में ही पराली प्रबंधन में अव्वल काम करने का दावा करते हुए एक लिखित बयान जारी किया था। उसके मुताबिक फसल अवशेष प्रबंधन के लिए लगभग 900 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ किसानों को दिया गया। इसमें हैप्पी सीडर को जादू की छड़ी की तर्ज पर पेश किया गया। दावा किया गया है 'हैप्पी सीडर को 25 लाख किसानों तक पहुंचाकर पराली जलाने पर पूर्ण रोक लगाई जा सकेगी। फसलों की उत्पादकता में 10 फीसद तक वृद्धि की जा सकेगी। खेती की लागत में कमी आ जाएगी।'

4500 से ज्यादा गांव शून्य पराली जलाने वाले घोषित

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) का दावा है कि जागरुकता के चलते पंजाब व हरियाणा के 4500 से ज्यादा गांवों को शून्य पराली जलाने वाले गांवों के रूप में घोषित किया गया है। इसके विपरीत पंजाब के चार जिले फिरोजाबाद, पटियाला, संगरुर और तरनतारन पराली जलाने में सबसे आगे रहे हैं। इसी तरह कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र और फतेहाबाद में पराली जलाने वाले काबू से बाहर रहे।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यों से मांगा सहयोग

कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर योजनाओं पर उचित तरीके से अमल करने को कहा है। उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकारें इस दिशा में पहल करेंगी। प्रदूषण के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराने पर तोमर ने कहा 'प्रदूषण केवल एक व्यक्ति या एक समुदाय जिम्मेदार नहीं हो सकता है, इस समस्या से उबरने के लिए सभी लोगों को प्रयास करना चाहिए।'

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के पराली के बाबत किसानों को सब्सिडी देने के बयान पर टिप्पणी करते हुए तोमर ने इससे असहमति जताई। उन्होंने कहा 'राज्यों को इस बारे में एक सफल नमूना पेश कर बात करनी चाहिए। चालू वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्र ने पंजाब को 248 करोड़, हरियाणा को 175 करोड़ और उत्तर 97.54 करोड़ रुपये की मदद दी गई है।

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