यूथ ओलंपिक 2018: अर्चना कामथ को सेमीफाइनल में मिली हार

इससे पहले कर्नाटक की 18 वर्षीय अर्चना ने इतिहास रचते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।

By Lakshya SharmaEdited By: Publish:Thu, 11 Oct 2018 02:18 PM (IST) Updated:Thu, 11 Oct 2018 02:18 PM (IST)
यूथ ओलंपिक 2018: अर्चना कामथ को सेमीफाइनल में मिली हार
यूथ ओलंपिक 2018: अर्चना कामथ को सेमीफाइनल में मिली हार

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी अर्चना गिरीश कामथ को यूथ ओलंपिक के सेमीफाइनल मुकाबले में शिकस्त का सामना करना पड़ा। वह चीन की यिंगशा सुन से मुकाबला 1-4 से गंवा बैठी। हालांकि, अब उन्हें कांस्य पदक के लिए मुकाबला खेलना होगा।

इससे पहले कर्नाटक की 18 वर्षीय अर्चना ने इतिहास रचते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। वह इस टूर्नामेंट के टेबल टेनिस में अंतिम चार का मुकाबला खेलने वाली पहली भारतीय बनी थीं। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में अजरबैजान की नाइन जिंग को कड़े मुकाबले में 4-3 से हराया था। अर्चना ने क्वार्टर फाइनल में 13-11, 8-11, 6-11, 11-3, 6-11, 12-10, 11-7 से जीत दर्ज की।

टोक्यो ओलंपिक के लिए वजन बढ़ाएंगे जेरेमी

यूथ ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता भारोत्तोलक जेरेमी लालरिनुंगा की नजरें 15 वर्ष की उम्र में ही ओलंपिक पर टिक गई हैं और इसके लिए दो साल के अंदर वह अपने वजन में इजाफा करना चाहते हैं।

मिजोरम के इस युवा को भारतीय भारोत्तोलन का अगला बड़ा स्टार माना जा रहा है और सोमवार को उन्होंने 62 किग्रा वर्ग में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए यूथ ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता। लालरिनुंगा अपने प्रदर्शन से खुश हैं, लेकिन उनके पास इतना समय नहीं है कि वह अपने इस प्रदर्शन को सराह सकें। 

जेरेमी ने कहा, 'मैं स्वर्ण पदक जीतकर वास्तव में खुश हूं। मैं 21 अक्टूबर को पटियाला लौटूंगा। अब मुझे 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। ओलंपिक के लिए मुझे अपने वजन वर्ग को बदलकर 67 किग्रा करना होगा इसलिए मुझे और कड़ी मेहनत करनी होगी।'

युवा ओलंपिक चैंपियन लालरिनुंगा अपने मुक्केबाज पिता के पदचिन्हों पर चलना चाहते थे, लेकिन जब उन्होंने देखा कि भारोत्तोलन में आपके दमखम की असली परीक्षा होती है तो वह इस खेल की तरफ मुड़ गए। 

उनके पिता लालनिथलुंगा राष्ट्रीय स्तर के पदक विजेता मुक्केबाज हैं। लालरिनुंगा भी मुक्केबाज बनना चाहते थे, लेकिन भारोत्तोलन के बारे में जानने के बाद उनका मन बदल गया। उन्होंने कहा, 'मेरे गांव में भारोत्तोलन की नई अकादमी खुली। मैंने जैसे ही उसे देखा इस खेल में हाथ आजमाने की सोची। जब मैं छोटा था तो मुक्केबाजी करता था, लेकिन भारोत्तोलन से जुड़ने के बाद यह मेरा पहला प्यार हो गया।'

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