खेल मंत्रालय ने अमान्य करार दिए SGFI के चुनाव, ये है कारण

खेल मंत्रालय ने शुक्रवार को स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SGFI) के हालिया चुनावों को अवैध घोषित कर दिया क्योंकि ये चुनाव एसजीएफआइ के अध्यक्ष और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार की अनुमति के बिना हुए थे।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Sat, 06 Feb 2021 07:48 AM (IST) Updated:Sat, 06 Feb 2021 07:48 AM (IST)
खेल मंत्रालय ने अमान्य करार दिए SGFI के चुनाव, ये है कारण
एसजीएफआइ के चुनाव को अमान्य करार दे दिया गया है

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। खेल मंत्रालय ने शुक्रवार को स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआइ) के चुनाव को अमान्य करार दे दिया। यह चुनाव 29 दिसंबर को तमिलनाडु के नागापत्तीनम में एसजीएफआइ अध्यक्ष और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार की इजाजत के बिना आयोजित किए गए थे। मंत्रालय ने फेडरेशन से खेल विकास कोड 2011 के तहत दोबारा से चुनाव कराने का आदेश दिया है।

एसजीएफआइ के महासचिव राजेश मिश्रा ने सुशील को जानकारी दिए बिना अपनी पसंद के चुनाव अधिकारी को नियुक्त कर चुनाव करा लिए थे। खेल विकास संहिता के तहत चुनाव अधिकारी नियुक्त करने की शक्ति संबंधित महासंघ के अध्यक्ष को होती है। यह वही मिश्रा हैं, जिन पर सुशील ने उनके फर्जी हस्ताक्षर कर फेडरेशन के कानूनों को बदलने का आरोप लगाया था।

शुक्रवार को जारी पत्र में खेल मंत्रालय के उप सचिव ने एसजीएफआइ को सूचित किया कि एसजीएफआइ के 29 दिसंबर को तमिलनाडु के नागापत्तीनम में आयोजित हुए चुनावों में चुनाव संबंधी खेल विकास संहिता 2011 की गाइडलाइंस का उल्लंघन हुआ है, क्योंकि चुनाव अधिकारी को चुनने की शक्ति फेडरेशन के अध्यक्ष के पास होती है। चुनाव शुरू कराने की प्रक्रिया से लेकर चुनावा अधिकारी के चुनाव की प्रक्रिया अध्यक्ष की इजाजत के बिना ली गई है। एसजीएफआइ ने इस तरह से खेल विकास संहिता 2011 का उल्लंघन किया है। आपको अब दोबारा चुनाव कराने होंगे। यह पत्र सुशील और मिश्रा के लिए लिखा गया था।

सुशील कुमार ने हाल ही में यह भी आरोप लगाया था कि मिश्रा ने एसजीएफआइ के उप-कानूनों को बदलने के लिए अपने हस्ताक्षर किए थे। ओलंपियन ने खेल मंत्री को मिश्रा द्वारा किए गए हेरफेर के बारे में अवगत कराया और मंत्रालय ने कथित धोखाधड़ी के बारे में गंभीरता से विचार किया। दिसंबर में हुए चुनावों में वी. रंजीत कुमार को एसजीएफआइ का अध्यक्ष चुना गया था, जबकि आलोक खरे को महासचिव और मुक्तेश सिंह को कोषाध्यक्ष चुना गया। पूर्व महासचिव मिश्रा को मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में नामित किया गया था।

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