दूध बेचकर चल रही है अंतर्राष्ट्रीय महिला पावरलिफ्टर बिथिका मंडल की जिंदगी

बंगाल व ईस्ट जोन की मौजूदा बेस्ट महिला पावरलिफ्टर बिथिका मंडल के परिवार का इन दिनों बड़ी मुश्किल से गुजारा हो रहा है।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Tue, 21 Jul 2020 04:34 PM (IST) Updated:Tue, 21 Jul 2020 04:34 PM (IST)
दूध बेचकर चल रही है अंतर्राष्ट्रीय महिला पावरलिफ्टर बिथिका मंडल की जिंदगी
दूध बेचकर चल रही है अंतर्राष्ट्रीय महिला पावरलिफ्टर बिथिका मंडल की जिंदगी

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। वह रोज सुबह जब गाय का दूध दुहने जाती है तो उसके मन में यही आशंका रहती है कि आज गाय दूध देगी ना? क्योंकि अगर गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो उसके परिवार का गुजारा मुश्किल हो जाएगा। और गाय भी कितना दूध दे रही है, रोजाना बस तीन से चार लीटर। उसे बेचकर 150 रुपए मिल जाते हैं ।उसमें से 50 रुपये गाय के चारे पर ही खर्च हो जाते हैं। 100 रुपये की दैनिक कमाई से किसी तरह तीन लोगों का परिवार चल रहा है। ऐसी हालत है अंतर्राष्ट्रीय महिला पावरलिफ्टर बिथिका मंडल की, जिसने 2017 में केरल के आलेप्पी में हुई एशियन पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में  रजत पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया था।

बंगाल व ईस्ट जोन की मौजूदा बेस्ट महिला पावरलिफ्टर बिथिका के परिवार का इन दिनों बड़ी मुश्किल से गुजारा हो रहा है। उनपर कोरोना और सुपर साइक्लोन 'एम्फन" की दोहरी मार पड़ी है। बिथिका के पिता कृष्णपद मंडल खेतिहर मजदूर हैं। दूसरों के खेतों में काम करते थे। सुपर साइक्लोन ने उनके गांव में ऐसी तबाही मचाई कि आसपास के सारे खेत उजड़ गए। पिता बेरोजगार हो गए। गनीमत रही कि उनकी गाय इस समय दूध दे रही है।

भारत- बांग्लादेश सीमा से सटे बंगाल के नदिया जिले के बनगांव अंचल के आंगराइल खेदापाडा़ गांव की रहने वाली बिथिका ने कहा- 'आर्थिक तंगी शुरू से ही रही है लेकिन अभी जो हालात हैं, उसमें दो जून की रोटी का बमुश्किल जुगाड़ हो पा रहा। सरकार की तरफ से मुफ्त में  खाद्यान्न मिल रहा है लेकिन चावल-दाल पकाने के लिए मिट्टी का तेल या रसोई गैस भी तो चाहिए। रोजमर्रा की और जरूरतें भी तो हैं। अभी गाय दूध दे रही है तो रोज 150 रुपए हो जाते हैं। जिस दिन दूध देना बंद कर देगी,  उस दिन क्या होगा, पता नहीं।'

2018 में लखनऊ में हुई सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली 27 साल की बिथिका अपने करियर को लेकर भी चिंतित है। लॉकडाउन के कारण चार महीने प्रैक्टिस नहीं कर पाई है। करती  भी कैसे,  गांव में प्रैक्टिस के लिए कोई आधारभूत संरचना ही नहीं है । प्रैक्टिस के लिए वह रोजाना साढे़ तीन घंटे का सफर करके ट्रेन से कोलकाता आती थी। अभी ट्रेनें बंद हैं, इसलिए प्रैक्टिस भी रुकी हुई है।

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