खिलाडिय़ों से कमाई में मांगा हिस्सा, विवाद बढ़ा तो हरियाणा सरकार ने फैसला वापस लिया

हरियाणा सरकार के फैसलै का असर 400 से अधिक खिलाड़ियों पर पड़ता।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Fri, 08 Jun 2018 08:38 PM (IST) Updated:Sun, 10 Jun 2018 10:33 AM (IST)
खिलाडिय़ों से कमाई में मांगा हिस्सा, विवाद बढ़ा तो हरियाणा सरकार ने फैसला वापस लिया
खिलाडिय़ों से कमाई में मांगा हिस्सा, विवाद बढ़ा तो हरियाणा सरकार ने फैसला वापस लिया

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने खिलाडिय़ों को प्रोफेशनल के तौर पर खेलने और विज्ञापन करने की मंजूरी तो दे दी, लेकिन उनकी कमाई में हिस्सा मांगना भारी पड़ गया। हरियाणा सरकार ने इससे संबंधित अधिसूचना 27 अप्रैल को तैयार की थी, जिसे राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने 30 अप्रैल को मंजूरी प्रदान कर दी। अधिसूचना के तहत जो खिलाड़ी सरकारी नौकरी में हैैं और वैतनिक अवकाश लेकर पेशेवर खेल खेलते हैैं अथवा किसी कंपनी के लिए विज्ञापन करते हैैं तो उससे होने वाली समस्त आय को हरियाणा खेल परिषद के खाते में जमा कराना होगा। नौकरी करने वाले खिलाड़ी की आमदनी सिर्फ वही होगी, जो उसे तनख्वाह के रूप में मिलती है। यदि खिलाड़ी अवैतनिक अवकाश लेकर खेलता है अथवा विज्ञापन करने जाता है तो उसे कमाई का एक तिहाई हिस्सा हरियाणा खेल परिषद के खाते में जमा कराना होगा। बाकी राशि पर खिलाड़ी का खुद का हक होगा। इस फैसले पर सियासी घमासान मच गया। खिलाड़ी भी बिफर गए तो सरकार ने शुक्रवार शाम फैसले पर रोक लगा दी। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। 

हालांकि खेल विभाग के प्रधान सचिव डॉ. अशोक खेमका खिलाडिय़ों के विरोध से सहमत नहीं हैैं। उनका मानना है कि सरकार ने राज्य के खिलाडिय़ों को दुनिया भर में पेशेवर खेल खेलने और टीवी पर विज्ञापन करने का मौका दिया है। इससे उनकी दुनिया भर में पहचान बनेगी। खेल मंत्री अनिल विज फैसले को लेकर डॉ. अशोक खेमका के साथ खड़े नजर आए। उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देश और उन सभी सरकारी नियमों का हवाला दिया, जिनके आधार पर खेमका ने खिलाडिय़ों से रकम सरकारी खजाने में जमा कराने संबंधी आदेश जारी किया। वहीं पुरस्कार राशि से वंचित राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता खिलाडिय़ों ने हरियाणा सरकार के नए नियम को खेलों के लिए कुठाराघात करार दिया। उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से खिलाड़ी न केवल सरकारी नौकरी छोडऩे पर मजबूर हो जाते, बल्कि उन्हें दूसरे राज्यों की तरफ पलायन करना पड़ता।

400 से अधिक खिलाडिय़ों को देनी पड़ती कमाई

हरियाणा में 400 से अधिक खिलाड़ी ऐसे हैैं, जो सरकारी नौकरी कर रहे हैैं। इनमें 18 डीएसपी भी शामिल हैैं। अधिकतर नौकरियां पिछली भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के कार्यकाल में मिली हैैं। कुछ नौकरियां ओमप्रकाश चौटाला के मुख्यमंत्री रहते हुए दी गई थीं। एक दर्जन से अधिक खिलाड़ी ऐसे हैैं, जो केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों तथा विभागों में नौकरी कर रहे हैैं। सबसे अधिक प्रभावित यही खिलाड़ी होते। 

फीफा विश्व कप की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

खेल की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

chat bot
आपका साथी