EXCLUSIVE: उज्बेकिस्तान की टीम भारत आई ही नहीं, मुक्केबाज को दे दिया गया पदक

पिछले साल 19 से 26 मई तक हुई 2019 (बीएफआइ) के सदस्यों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। इनमें से एक पर आरोप है कि उसने उज्बेकिस्तान की 14 सदस्यीय ऐसी टीम को फर्जी तरीके से प्रतियोगिता का हिस्सा दिखा दिया जो टूर्नामेंट के लिए भारत आई ही नहीं।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 05:34 AM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 06:14 AM (IST)
EXCLUSIVE: उज्बेकिस्तान की टीम भारत आई ही नहीं, मुक्केबाज को दे दिया गया पदक
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ का एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है (एपी फोटो)

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। गुवाहाटी में पिछले साल 19 से 26 मई तक हुई 2019 इंडिया ओपन मुक्केबाजी चैंपियनशिप भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआइ) के अहम सदस्यों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। इन सदस्यों में से एक पर आरोप है कि उसने उज्बेकिस्तान की 14 सदस्यीय ऐसी टीम को फर्जी तरीके से प्रतियोगिता का हिस्सा दिखा दिया जो वास्तव में कभी टूर्नामेंट के लिए भारत आई ही नहीं।

इस मामले में संजीव हांडिक और असम एमच्योर मुक्केबाजी महासंघ (एएबीए) के पूर्व संयुक्त सचिव एवं राष्ट्रीय स्तर के एक मुक्केबाजी कोच ने 24 नवंबर 2020 को असम के गोलाघाट पुलिस स्टेशन में एएबीए के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। इसमें दावा किया गया है कि आयोजकों ने धोखे से उज्बेक के एक मुक्केबाज को पदक से भी नवाज दिया जबकि वह प्रतियोगिता खेलने तो छोडि़ए भारत ही नहीं आया।

इस आयोजन के एक अहम अधिकारी लेनी डि गामा ने कहा, 'मैं गुवाहाटी में हुए दूसरे इंडिया ओपन में डिप्टी टेक्निकल डायरेक्टर था। उज्बेकिस्तान टूर्नामेंट के लिए नहीं आया था, इसलिए उस देश के मुक्केबाजों के इसमें भाग लेने या पदक नहीं दिया जाना चाहिए था।' विवाद की मुख्य वजह में असम सरकार द्वारा राज्य में अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों की मेजबानी के लिए दिया जाने वाला एक करोड़ रुपये का अनुदान है।

इसके लिए न्यूनतम 10 देशों और 100 एथलीटों की जरूरत थी, लेकिन जब उज्बेकिस्तान की टीम अंतिम समय में हट गई तो इंडिया ओपन केवल नौ देशों के साथ बीच में अटक गया। ऐसे में उज्बेकिस्तान को टूर्नामेंट से बाहर करने और कम अनुदान के लिए समझौता करने के बजाय एएबीए ने बीएफआइ के शीर्ष अधिकारियों के साथ मिलकर एक तरकीब निकाली और उज्बेकिस्तान के मुक्केबाजों को प्रतिभागियों को ड्रॉ में बनाए रखा।

बीएफआइ के महासचिव जय कवली ने कहा, 'जब मुझे पता चला कि उज्बेकिस्तान ने भाग नहीं लिया है तो मैंने बीएफआइ के कार्यकारी निदेशक राज सचेती और प्रशासनिक निदेशक और प्रभासा प्रतिहारी को एक मेल लिखा और उन्हें प्रतिदिन के ड्रॉ से हटाने के लिए कहा। मुझे अभी भी अपने मेल के जवाब का इंतजार है।'

हांडिक ने भी अंतरराष्ट्रीय एमच्योर मुक्केबाजी महासंघ, आइबा (एमच्योर अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ) के नीति आयोग (एथिक्स कमिशन) को इस धोखाधड़ी के बारे में लिखा और आइबा ने जवाब दिया था कि उनके वकील ने शिकायत को स्वीकार करते हुए कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। हांडिक ने विश्व मुक्केबाजी निकाय को लिखे अपने सख्त पत्र में राज सचेती पर इस धोखाधड़ी को अंजाम देने का आरोप लगाया है और एआइबीए को बीएफआइ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है, बल्कि यहां तक कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती इसके कामकाज को रोकने की बात कही है।

हांडिक ने 2019 इंडिया ओपन के परिणाम का जिक्र करते हुए बताया कि उज्बेक मुक्केबाजों में से प्रत्येक के नाम के आगे वॉकओवर का निशान लगा था, लेकिन जब उन्होंने उनकी भागीदारी के बारे में पूछना शुरू किया तो बीएफआइ की वेबसाइट से रहस्यमय तरीके से उन्हें गायब कर दिया गया। इसके परिणाम एशियाई मुक्केबाजी महासंघ (एएसबीसी) की वेबसाइट पर भी उपलब्ध थे, लेकिन पिछले सप्ताह पुलिस शिकायत दर्ज होने के बाद इसे हटा दिया गया।

हांडिक ने कहा, 'यह सब इस बात की पुष्टि करता है कि बीएफआइ के शीर्ष प्रबंधन को धोखाधड़ी के बारे में पता है और वह सच को छुपाने की कोशिश कर रहा है। यह बात गौर करने वाली है कि इस धोखाधड़ी के केंद्र में मौजूद सचेती एसबीसी, एसएबीए आदि में सलाहकार के पद पर हैं। हम इस तरह से देश में खेल को चलाने की अनुमति नहीं दे सकते।' हांडिक ने नीति आयोग को लिखे अपने पत्र में आरोप लगाया, 'यह कुप्रबंधन, गलत बयानी और गलतफहमी का एक प्रमुख मामला है। उज्बेकिस्तान की टीम भारत में आई भी नहीं थी, फिर भी उसके नौ पुरुष और पांच महिला मुक्केबाजों के नाम इंडिया ओपन के प्रतिदिन के ड्रॉ और परिणामों में शामिल थे। यहां तक कि उनकी एक महिला मुक्केबाज युनुसोवा शाखनोवा को लाइट मिडिल वेट कैटेगरी (69 किग्रा) में कांस्य पदक से नवाज भी दिया गया। यह असम और देश के खेल प्रेमियों के साथ एक बड़ा धोखा है।'

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