उम्मीदें 2018: चैंपियनों के सामने बड़ी चुनौतियां

2017 की सुनहरी यादों के साथ भारतीय खेल और खिलाड़ियों के लिए साल 2018 चुनौतियों से भरपूर होगा। खिलाड़ियों पर खुद को साबित करने का लक्ष्य होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 01 Jan 2018 01:19 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jan 2018 03:46 PM (IST)
उम्मीदें 2018: चैंपियनों के सामने बड़ी चुनौतियां
उम्मीदें 2018: चैंपियनों के सामने बड़ी चुनौतियां

नई दिल्ली (जेएनएन)। 2017 की सुनहरी यादों के साथ भारतीय खेल और खिलाड़ियों के लिए साल 2018 चुनौतियों से भरपूर होगा। खिलाड़ियों पर खुद को साबित करने का लक्ष्य होगा। फिर चाहे अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में होने वाले राष्ट्रमंडल खेल हों या फिर अगस्त में इंडोनेशिया में होने वाले एशियाई खेल। दोनों में भारतीय खिलाड़ियों को दम दिखाना होगा। वहीं क्रिकेट में भारत को असली चुनौतियां साल 2018 में ही मिलेंगी। 2018 की उम्मीदों पर प्रस्तुत है निखिल शर्मा की रिपोर्ट: 

टेनिस में जमाना होगा रंग 

टेनिस में भारतीय खिलाड़ी सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस से एक बार फिर ग्रैंड स्लैम जीतने की उम्मीदें की जाएंगी। भारतीय खिलाड़ियों की पहली चुनौती 18 जनवरी से शुरू होने वाले ऑस्ट्रेलियन ओपन से शुरू हो जाएंगी। इसके बाद विंबलडन, यूएस ओपन साथ ही राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में उनके अच्छा करने की उम्मीद होंगी।

विराट कोहली 

विराट की कप्तानी में 2017 में भारत ने घर में अपना लोहा मनवाया। लगातार नौ टेस्ट सीरीज जीतकर विराट एंड कंपनी ने अपनी विश्व पटल पर छाप छोड़ी लेकिन साल 2018 में टीम इंडिया के ऊपर विदेश में ढेर होने का टैग हटाने की चुनौती होगी। इसकी शुरुआत टीम इंडिया पांच जनवरी से शुरू हो रहे दक्षिण अफ्रीका दौरे से करेगी। इसके बाद भारतीय टीम को तीन जुलाई से इंग्लैंड दौरे पर अपना पहला मैच खेलना है। यहां भारतीय टीम तीन वनडे और तीन टी-20 मैच की सीरीज के साथ पांच टेस्ट मैच की सीरीज खेलेगा। वहीं भारतीय महिलाएं भी आइसीसी महिला विश्व कप के बाद जनवरी में घरेलू त्रिकोणीय सीरीज से एक्शन में दिखेंगी।

हॉकी में करना होगा बेहतर प्रदर्शन

एक मैच में हीरो की तरह और दूसरे ही मैच में जीरो की तरह खेलने वाली भारतीय हॉकी टीम को अब अपने खेल में निरंतरता लानी होगी। राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में पदक जीतने का भारतीय पुरुष टी पर दबाव होगा। उम्मीद यही है कि 2017 में अच्छी यादें लेकर भारतीय टीम 2018 में नया इतिहास रचना चाहेगी। वहीं 13 साल बाद एशिया कप जीतकर महिला हॉकी टीम भी टॉप 10 में पहुंच गई है। टीम ने अपने खेल से सभी को प्रभावित किया है। उम्मीद है यही प्रदर्शन भारतीय महिलाएं 2018 में भी जारी रखेंगी।

मुक्केबाज भी दिखाएंगे दम

पेशेवर मुक्केबाजी में यह साल विजेंदर सिंह को नई ऊंचाईयां दे सकता है। 10 पेशेवर मुक्केबाजी की फाइट लगातार जीत चुके विजेंदर की नजरें अब विश्व चैंपियन बनने पर होंगी। इसी के साथ पुरुष और महिला भारतीय मुक्केबाजों का लक्ष्य राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने पर होगा।

सुशील की परीक्षा

तीन वॉकओवर पाकर सुशील एक बार फिर से राष्ट्रीय चैंपियन तो बन गए, लेकिन उनकी असली चुनौती 2018 में खुद को साबित करने की ही होंगी। राष्ट्रमंडल खेलों का टिकट कटाने वाले सुशील सालों बाद इतने बड़े स्तर के टूर्नामेंट में उतरेंगे, वहीं एशियाई खेलों में भी वह कुश्ती में देश का नेतृत्व करेंगे। ओलंपिक पदक विजेता होकर उनके ऊपर साथी पहलवान ने केस कर दिया है। यह उनकी छवि को गिराने वाला है। उम्मीद है कि इस साल वह अपनी छवि को धूमिल होने से बचाएंगे। इसके साथ ही दूसरे भारतीय पहलवानों पर भी इन दोनों बड़े आयोजनों में भारत की झोली में पदक भरने की जिम्मेदारी होगी। 

सिंधू और श्रीकांत पर होगा भार

बीते साल भारतीय महिला शटलरों को भारतीय पुरुष शटलरों ने खुलकर चुनौती दी। पहली बार पुरुष शटलरों के आगे महिला शटलरों का प्रदर्शन फीका नजर आया। किदांबी श्रीकांत पर अब इसी प्रदर्शन को 2018 में जारी रखने की जिम्मेदारी होगी। तो वहीं पीवी सिंधू भी 2018 में धमाल मचाना चाहेंगी। साइना नेहवाल भी अपनी घुटने की चोट को भुलाकर कुछ खास करना चाहेंगी। तीनों शटलरों से राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में पदक की उम्मीद है। 2018 में होने वाली सुपर सीरीज में भी तीनों शटलर विश्व के टॉप शटलरों को हराने का दम भरेंगे।

2018 में ओलंपिक की तैयारी

यह साल भारतीय खेलों के लिए इसीलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि 2018 में भारत की 2020 ओलंपिक की असल तैयारी का पता चल पाएगा। 2018 में राष्ट्रमंडल और एशियाई खेल जैसे बड़े आयोजन होने हैं। इसमें भारतीय खिलाड़ियों के लिए 2020 ओलंपिक की अपनी तैयारियों को अमलीजामा पहनाने का मौका  होगा। 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने 15 स्वर्ण सहित 64 पदक और इंचियोन एशियन गेम्स में 11 स्वर्ण सहित 57 पदक जीते थे। भारतीय एथलीटों को इसकी संख्या बढ़ानी होगी।

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