एशियन गेम्स 2018: हर भारतीय के मन में एक सवाल, आखिर ऐसे कैसे हार गई कबड्डी टीम?
अब खेल में जीत हार तो चलती रहती है लेकिन इस बात पर सभी को सोचना होगा कि कबड्डी टीम का हाल हॉकी या फुटबॉल जैसा ना हो जाए।
नई दिल्ली,[लक्ष्य शर्मा]। भारतीय खेल इतिहास में भारत के लोग अगर हॉकी में शानदार प्रदर्शन की दुहाई देते थे तो कबड्डी में भी वह अपने मूंछों को तांव दे सकते थे लेकिन एशियन गेम्स में ना केवल पुरुष टीम की बादशाहत खत्म हुई बल्कि महिला टीम का भी वर्चस्व खत्म हो गया। दोनों ही टीमों से गोल्ड मेडल की उम्मीद थी लेकिन महिला टीम को रजत और पुरुष टीम को कांस्य से संतोष करना पड़ा। सही मामले में इस कांस्य की कोई अहमियत नहीं है क्योंकि कबड्डी में भारत का जो एक छत्र राज था उससे गोल्ड से कम की उम्मीद नहीं की जा सकती।
भारतीय पुरुष टीम को सेमीफाइनल में इरान के हाथों शिकस्त खानी पड़ी। 1990 में कबड्डी पहली बार एशियन गेम्स में शामिल हुआ तो और हर बार भारत ने गोल्ड मेडल जीता था। सही कहे तो इरान से मिली हार ने ना केवल फैंस को बल्कि हर उस व्यक्ति को हिला दिया जो कबड्डी में अपनी टीम के प्रदर्शन से इतराता था। इस हार से पूर्व खिलाड़ी भी हैरान और परेशान है।
भारत को एशियन गेम्स में 2 बार गोल्ड जिताने वाले पूर्व कप्तान अनूप कुमार का कहना है कि मैं सच में आहत हूं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि ये कैसे हो गया। मुझे और देशवासियों को इस हार को हजम करने में थोड़ा समय लगेगा लेकिन ये तय है कि इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। अनूप ने कहा कि भारत को कप्तान अजय ठाकुर की चोट का नुकसान हुआ। अजय को सिर में चोट लगी और उन्हें टांके लगवाने के लिए बाहर जाना पड़ा।
अनूप ने कहा कि अगर आपका कप्तान काफी समय तक खेल से बाहर रहे तो आपकी लय बिगड़ जाती है और इस बार भी यही हुआ। हमारे खिलाड़ियों ने अच्छी शुरुआत की लेकिन अपने प्रदर्शन को कायम नहीं रख पाए। हालांकि अनूप इस बात से भी हैरान दिखे कि कैसे भारतीय खिलाड़ी ढिलाई दिखाई।
प्रो कबड्डी लीग से इरान को फायदा या भारत को नुकसान
प्रो कबड्डी लीग की शुरुआत की गई क्योंकि इससे भारत में कबड्डी की स्थिति सुधर सकती थी। इस लीग के बाद दर्शकों ने कबड्डी में रूचि लेनी शुरू की, वहीं खिलाड़ियों पर भी पैसे की बारिश होने लगी। अब सवाल ये है कि इस लीग में इतना खेलने के बाद भी भारतीय टीम ऐसा प्रदर्शन कैसे कर सकती है। इरान के कई खिलाड़ी भी प्रो कबड्डी लीग में खेलते हैं तो क्या इससे भारत को नुकसान हुआ।
इस बारे में अनूप ने कहा कि बिल्कुल इस लीग के कारण इरान के प्रदर्शन में काफी सुधार देखने को मिला। लेकिन हमारे खिलाड़ियों को भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। आप इरानी खिलाड़ियों को लीग में खेलने से नहीं रोक सकते, अगर इस लीग से उनका प्रदर्शन सुधर रहा है तो हमें भी और मेहनत करनी पडेगी।
भारतीय टीम के प्रदर्शन से कोच राम मेहर भी काफी नाराज है। राम मेहर ने कहा कि ये बहुत बड़ी हार है। इसके साथ ही उन्होंने टीम के कोच अजय ठाकुर के अति आत्मविश्वास पर भी सवाल उठाए। कोच ने मैच के बाद कहा था कि हम कप्तान के अतिआत्मविश्वास के कारण मैच हार गए।
कहीं हॉकी और फुटबॉल जैसा ना हो जाए कबड्डी का हाल
अब खेल में जीत हार तो चलती रहती है लेकिन इस बात पर सभी को सोचना होगा कि कबड्डी टीम का हाल हॉकी या फुटबॉल जैसा ना हो जाए। हॉकी में 30 साल पहले हम कहां थे और अब कहां है ये सभी को पता है।
वहीं फुटबॉल में एक समय था जब भारत की टीम की गिनती भी मजबूत टीमों में होती थी और अब स्थिति ये है कि टीम के कप्तान को हाथ जोड़कर दर्शकों से मैच देखने की अपील करनी पड़ रही है। हम उम्मीद करते है कबड्डी में ऐसा ना हो लेकिन इसके लिए खिलाड़ी, कोच और कबड्डी फेडरेशन से जुड़े लोगों को भी सोचना होगा।