संबलपुर लोक महोत्सव हर्षोल्लास संपन्न

जागरण संवाददाता, संबलपुर : कला व संस्कृति को बढ़ावा व सुरक्षा देने के उद्देश्य को लेकर आयोि

By Edited By: Publish:Sat, 07 Jan 2017 06:54 PM (IST) Updated:Sat, 07 Jan 2017 06:54 PM (IST)
संबलपुर लोक महोत्सव हर्षोल्लास संपन्न

जागरण संवाददाता, संबलपुर :

कला व संस्कृति को बढ़ावा व सुरक्षा देने के उद्देश्य को लेकर आयोजित तीन दिवसीय संबलपुर लोक महोत्सव शुक्रवार की देर रात विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम और समापन समारोह के साथ संपन्न हो गया। महोत्सव की अंतिम शाम, सुदूर बैंगलुरु से आए जुआर परिवार के सदस्य विश्वजीत प्रधान और तुषार पंडा का सम्मान दिया गया।

अंतिम शाम के कार्यक्रम की शुरूआत में लिपिका विभार, अरुण राजवंश और ब्रह्मकुमार ने संबलपुरी लोकगीत प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम का संचालन रतन पुजारी ने किया। इसके बाद नृत्य के कार्यक्रम में संबलपुर कला परिषद के कलाकारों ने पारंपरिक संबलपुरी नृत्य प्रस्तुत किया। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से आए छऊ दल के कलाकारों ने मुखौटा पहनकर पौराणिक कथावस्तु पर आधारित छऊ नृत्य प्रस्तुत किया और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा राक्षसों के वध को प्रस्तुत किया। संबलपुर के लहरी संगठन के कलाकारों ने आदिवासी विवाह के दौरान युवक-युवतियों में होती नोंकझोंक को लेकर ढाप नृत्य प्रस्तुत किया। हरियाणा के कलाकारों ने लटठमार होली के दौरान देवर-भाभी की ठिठोली प्रस्तुत किया, जबकि मध्यप्रदेश के कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण व राधा के प्रेम पर आधारित रासलीला प्रस्तुत किया। गंजाम के कलाकारों ने मुखौटा पहनकर पशु मुखौटा नृत्य प्रस्तुत किया। असम के कलाकारों ने बिहु, महाराष्ट्र के कलाकारों ने लावणी, कोरापुट के कलाकारों ने दुरुआ नृत्य, कालाहांडी के कलाकारों ने घूमरा नाच, ढेंकानाल के कलाकारों ने लउड़ी और मयूरभंज के कलाकारों ने छउ नृत्य प्रस्तुत किया। समापन समारोह में संबलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. चित्तरंजन त्रिपाठी मुख्य अतिथि गंगाधर मेहेर विश्वविालय के कुलपति प्रो. सुधांशु शेखर रथ, संबलपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव एम मुथुकुमार, घूमरा शोधकर्ता सत्य नायक, व्यंग कवि ज्ञान होता सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

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