लघु उद्योग के विकास पर खर्च होंगे तीन हजार करोड़

राज्य में धीमी औद्योगिकीकरण में तेजी लाने के लिए लघु उद्योग नि

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 11:22 PM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 11:22 PM (IST)
लघु उद्योग के विकास पर खर्च होंगे तीन हजार करोड़
लघु उद्योग के विकास पर खर्च होंगे तीन हजार करोड़

जागरण संवाददाता, राउरकेला : राज्य में धीमी औद्योगिकीकरण में तेजी लाने के लिए लघु उद्योग निगम की ओर से इंडस्ट्रिज हब का निर्माण किया जाएगा। राउरकेला से इसकी शुरुआत करने की घोषण न निगम के अध्यक्ष रामकृष्ण दास महापात्र ने की है। 2022 तक इसमें तीन हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। सरकार की ओर से उपलब्ध संसाधनों के जरिए उद्योगपतियों को सुविधायें उपलब्ध कराने में विफल है। ऐसे में चुनाव से पहले हुई इस घोषणा पर अमल पर भी संदेह प्रकट किया जा रहा है।

ओडिशा लघु उद्योग विकास निगम के अध्यक्ष ने पानपोष सर्किट हाउस में मीडिया को बताया कि राउरकेला स्मार्ट सिटी के विकास के लिए निगम की ओर से कई उद्योगों पर काम शुरु किया गया है। शहर में सोलर लाइट, सड़कों की मरम्मत का काम निगम की ओर से करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए निगम आयुक्त रश्मिता पंडा से भी कई दौर की बातचीत हुई है। राउरकेला को मॉडल शहर में बदलने के लिए भी काम शुरू करने का अनुरोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राउरकेला में निगम को तीन एकड़ जमीन मुहैया कराया गया है। स्टॉक यार्ड निर्माण कर स्टील, सीमेंट, अलकतरा समेत अन्य सामग्री की मार्के¨टग की जाएगी। इसके लिए पांच तल्ला मकान बनाया जाएगा तथा 1500 दुकान बनाकर दो हजार स्थानीय युवाओं को नौकरी दी जाएगी। 2016 से राज्य के 19 जिलों में स्टील मार्के¨टग के लिए टाटा स्टील की मार्के¨टग क्षमता को और बढ़ाया जाएगा। इसके लिए राउरकेला में सर्वे का काम किया जा रहा है।

उद्योग उपलब्ध संसाधनों की सुविधा से वंचित : राज्य सरकार के लघु उद्योग विकास निगम की ओर से चुनाव से पहले तीन हजार करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा कर दी गयी है पर इस पर अमल करने पर भी संदेह प्रकट किया जा रहा है। ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में चार दर्जन से अधिक स्पंज एवं फर्नेस उद्योग एक दशक पहले खुले थे। कच्चा माल अधिक दाम में देने, पानी की पर्याप्त सुविधा न होने उद्योग की हालत दयनीय हो गई। अन्य राज्यों की तुलना में बिजली दर अधिक होने तथा बार- बार चैंबर व अन्य संगठनों की ओर से सरकार की ओर से दर कम करने के लिए अनुरोध करने के बावजूद इस दिशा में पहल नहीं हुई जिस कारण अधिकतर उद्योगों को नुकसान का सामना करना पड़ा और अधिकतर उद्योग बंदी के कगार पर हैं।

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