नई शिक्षा नीति से देश के विकास के रास्ते खुलेंगे

केंद्र सरकार की ओर से देश में शिक्षा नीति में बदलाव किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 31 Jul 2020 02:09 AM (IST) Updated:Fri, 31 Jul 2020 02:09 AM (IST)
नई शिक्षा नीति से देश के विकास के रास्ते खुलेंगे
नई शिक्षा नीति से देश के विकास के रास्ते खुलेंगे

जागरण संवाददाता, राउरकेला : केंद्र सरकार की ओर से देश में शिक्षा नीति में बदलाव किया जा रहा है। इसके प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई है। वर्ष 1992 में शिक्षा नीति में संशोधन किया गया था इसके बाद वर्तमान समय की मांग के अनुसार इसमें परिवर्तन लाने की जरूरत थी। पूर्व कैबिनेट सचिव टीआरएस सुब्रमण्यम की अगुवाई में विशेषज्ञों की टीम ने इसका मसौदा तैयार किया है। इसके तहत शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त अव्यवस्था को दूर करने के साथ योग्यता व क्षमता के अनुसार शिक्षा दी जाएगी। जिसमें युवा अपनी पसंद के अनुसार क्षेत्र चुन सकेंगे तथा उसकी पढ़ाई करेंगे। इसे देश के विकास के नए रास्ते खुलेंगे तथा उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा। राउरकेला शहर के शिक्षा विदो ने भी इसकी सराहना की है। समय के साथ शिक्षा नीति में परिवर्तन की नितांत आवश्यकता थी। नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जो कदम उठाया गया है वह प्रशंसनीय है। नई शिक्षा व्यवस्था युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखकर किया गया है। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई पूरी करने के बाद युवाओं को जीवन के लिए जरूरी व्यवहारिक शिक्षा का अलग से प्रशिक्षण लेना पड़ता है। कई बार युवा हताश हो जाते हैं एवं उनकी असली प्रतिभा को प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है। नयी शिक्षा नीति से प्रतिभा को नयी दिशा मिलेगी व विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

- दिलीप कुमार भई, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक। केंद्र सरकार के द्वारा शिक्षा नीति में बदलाव करने का जो फैसला लिया गया है वास्तव में यह सराहनीय है। इस शिक्षा नीति से युवाओं को लाभ मिलेगा एवं वे पढ़ाई कर बेरोजगार नहीं होंगे बल्कि खुद कुछ करने की क्षमता रखेंगे। भारत जैसे बड़े देशों में अलग अलग भाषा के लोग रहते हैं। बच्चे भी अलग अलग भाषा से पढ़ाई करते हैं एवं उनकी क्षमता भी अलग अलग है। ऐसे में भाषा के आधार पर पाठ्यक्रम बनाने की जरूरत होगी। बच्चों को उनकी क्षमता व मानसिकता के आधार पर क्षेत्र चुनने का मौका मिलेगा एवं इससे वे प्रोत्साहित होंगे।

- उमाशंकर तिवारी, सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक। देश में शिक्षा नीति में बदलाव से बड़ा परिवर्तन आएगा एवं नव भारत के निर्माण में यह मददगार होगा। इससे बच्चों में सृजनात्मकता आएगी। पढ़ाई में लचीलापन होने से युवाओं को प्रोत्साहन तथा कुछ करने की प्रेरणा मिलेगी। इससे उद्यमिता को भी बढ़ावा मिलेगा एवं युवाओं में नई जागृति व नया करने की सोच उत्पन्न होगी। रूटीन की शिक्षा लेने के बाद युवाओं को व्यवहारिक ज्ञान के लिए अलग से शिक्षा लेनी पड़ती थी जिससे समय का सदुपयोग नहीं हो पता था एवं उनकी उत्साह कम हो जाती थी अब ऐसा नहीं होगा।

- नरेश प्रजामित्र आर्या, चेयरमैन, यूनिटेक ग्रुप। नई शिक्षा नीति में पांचवीं कक्षा तक को नियमित शिक्षा में शामिल नहीं किया गया है। बच्चे छठवीं कक्षा के बाद परीक्षा देंगे। नौवीं, दसवीं के बाद 11वीं बोर्ड की परीक्षा होगी। ऐसे में मूलभूत शिक्षा बच्चों को नहीं मिल पाएगी। वर्तमान में शिक्षा में मजबूत ढांचा तैयार होता था पर नयी शिक्षा नीति में इसके कमजोर होने की संभावना अधिक है। ऐसे में इस व्यवस्था में कुछ परिवर्तन लाने की जरूरत होगी। ऐसा नहीं करने से ऊंची कक्षा में विद्यार्थियों को समझने में परेशानी हो सकती है। फिर भी केन्द्र सरकार का प्रयास प्रशंसनीय है।

- सुजीत कुमार घोष, शिक्षाविद।

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