भूखे-प्यासे गुजरा असहायों का दिन

कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन के दौरान शहर में फुटपाथ में रहने वाले गरीब और जरुरमंद लोगों को भूख से बचाने के लिए सेवाभावी संगठनों के साथ राउरकेला महानगर निगम (आरएमसी) की ओर से गली-मुहल्लों में घूम-घूमकर असहायों के लिए भोजन के साथ खाद्य सामग्री का प्रबंध किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 12:18 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 06:17 AM (IST)
भूखे-प्यासे गुजरा असहायों का दिन
भूखे-प्यासे गुजरा असहायों का दिन

जागरण संवाददाता, राउरकेला : कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन के दौरान शहर में फुटपाथ में रहने वाले, गरीब और जरुरमंद लोगों को भूख से बचाने के लिए सेवाभावी संगठनों के साथ राउरकेला महानगर निगम (आरएमसी) की ओर से गली-मुहल्लों में घूम-घूमकर असहायों के लिए भोजन के साथ खाद्य सामग्री का प्रबंध किया गया। लेकिन लॉक डाउन खुलते ही सेवाभावी संगठनों के साथ-साथ निगम प्रशासन ने भी असहायों की मदद से हाथ खींच लिए। इसी बीच जिला प्रशासन की ओर से सप्ताह में दो दिन शहर को शटडाउन का निर्णय लिया गया। इसका सीधा असर असहायों की जिदंगी पर पड़ा और वैसे लोग जो भिक्षाटन कर, कचरा बिनकर अपना गुजर-बसर करते हैं, उन्हें दो दिन भूखे-प्यासे गुजारना पड़ा। शहर में मांग कर जीवन यापन करती हूं। कोई दे दिया तो खा लेती हूं। पहले तो कई लोग खाना देने आते थे। लेकिन अब कोई नही आने और बाजार बंद होने के कारण भूखों मरने की नौबत आ गई है।

- बिमला सुरीन। बूढ़ी होने के कारण कोई काम भी नही देता है। यहां कोई पहचान वाला भी नही है। मांग कर खाती हूं। लेकिन दो दिनों से बाजार बंद होने के कारण खाना तो क्या, कोई कुछ भी नहीं दे रहा है। कल से भूखी हूं।

- पानो भूमिज। घर नही है। रिक्शा चला कर जीवन यापन करता हूं। शहर में जहां जगह मिल जाती है, वही रात गुजार लेता हूं। कोरोना के कारण अभी सवारी भी नही मिलती है। इस कारण खाने के लाले पड़ गए हैं। पहले बहुत लोग खाना देने आते थे। अब कोई नही आ रहा है।

- मनोज भूमिज। शहर में फेंकी गई बोतल और कचरा बिन कर जीवन यापन करता हूं। लेकिन दो दिनों से बाजार बंद होने के कारण कमाई नही हुई है। इसकारण खाना भी नही मिल रहा है।

- हिनू सोरेन।

chat bot
आपका साथी