सुंदरगढ़ लोस सीट पर सात बार कांग्रेस की जीत

सुंदरगढ़ लोकसभा सीट का इतिहास भी अनोखा रहा है। इस पर किसी एक पा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Mar 2019 11:30 PM (IST) Updated:Wed, 20 Mar 2019 11:30 PM (IST)
सुंदरगढ़ लोस सीट पर सात बार कांग्रेस की जीत
सुंदरगढ़ लोस सीट पर सात बार कांग्रेस की जीत

संवाद सूत्र, सुंदरगढ़ : सुंदरगढ़ लोकसभा सीट का इतिहास भी अनोखा रहा है। इस पर किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं रहा। लेकिन 1951 से अब तक हुए 16 आम चुनाव में सर्वाधिक सात बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। जबकि भाजपा के खाते में चार बार यह सीट रही। जिसमें चारों बार यहां से भाजपा के प्रत्याशी जुएल ओराम निर्वाचित हुए हैं। हालांकि 2009 के आम चुनाव में यहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।

1951 में हुए पहले चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस के शिवनारायण सिंह ने गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार नटवर नायक को 6075 वोटों से हराया था। 1957 में गणतंत्र पार्टी के चंद्रमणि कालो ने कांग्रेस के उदित प्रताप सिंह को 36555 वोटों से परास्त किया था। 1962 में फिर से गणतंत्र पार्टी विजयी रही थी गणतंत्र पार्टी के यज्ञनारायण सिंह ने कांग्रेस के शिब नारायण सिंह को 6075 वोटों से हराया था। 1967 में पहली बार स्वाधीन पार्टी के उम्मीदवार के रूप में देवानंद अमात ने कांग्रेस के इग्नेश माझी को 44818 वोटों से हराया। 1971 में एक बार फिर कांग्रेस को सफलता मिली कांग्रेस के गजाधर माझी ने इस बार स्वाधीन पार्टी के देवानंद अमात पर 17979 वोटों से विजय हासिल की ।1977 की हवा में बाजी पलटी तथा इस बार देवानंद अमात ने भारतीय लोक दल का प्रत्याशी बन गजाधर माझी को 44553 वोटों से मात दी। 1980 में कांग्रेस के क्रिस्टोफर एक्का ने जनता पार्टी के गंगाधर प्रधान को 40951 वोटों से हरा एक बार फिर कांग्रेस को विजयी बनाया। 1984 में कांग्रेस लहर में कांग्रेस की तरफ से मोरिस कुजूर ने चुनाव लड़ते हुए जनता पार्टी के इग्नेसे माझी पर 106547 मतों से विराट विजय हासिल की। 1989 में एक बार फिर देवानंद अमात विजयी रहे। जनता दल की ओर से चुनाव लड़ते हुए उन्होंने कांग्रेस के मोरिस कुजूर को 91752 मतों से हराया। 1991 तथा 1996 में लगातार दो बार कांग्रेस की फ्रीदा टोपनो विजयी रहीं। 1991 में जनता दल के मंगला किसान को 38070 वोटों से तथा 1996 में जार्ज तिर्की को 13073 वोटों से हराया जो झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी थे। 1998 में पहली बार विधानसभा छोड़ जुएल ओराम भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे तथा लगातार तीन बार 1998, 1999 तथा 2004 में लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। 1998 में कांग्रेस के सुनील सिघदेव को 126028 वोटों से, 1999 में कांग्रेस के क्रिस्टोफर एक्का को तथा 2004 में कांग्रेस की फ्रीदा टोपनो को 39676 वोटों से हराया। इन तीनों चुनाव में भाजपा बीजद का गठबंधन था। 2009 में जुएल ओराम चुनाव हार गए थे उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी हेमानंद बिस्वाल ने हराया था। लेकिन 2014 में वापसी करते हुए बीजद के दिलीप तिर्की को 18829 वोटों से परास्त कर ओडिशा से एक मात्र भाजपा सांसद के रूप में लोकसभा पहुंचे। इस बार कांग्रेस ने जार्ज तिर्की तथा बीजद ने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री तथा पूर्व सांसद हेमानंद बिस्वाल की बेटी सुनीता विश्वाल को मैदान में उतारा है। वहीं एक बार फिर भाजपा की ओर से जुएल ओराम को प्रत्याशी बनाने के कयास लगाए जा रहे हैं।

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