परिवार की सुख शांति को हुई आंवला वृक्ष की पूजा

कार्तिक माह की नवमी पर शनिवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 11:08 PM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 11:08 PM (IST)
परिवार की सुख शांति को हुई आंवला वृक्ष की पूजा
परिवार की सुख शांति को हुई आंवला वृक्ष की पूजा

जागरण संवाददाता, राउरकेला : कार्तिक माह की नवमी पर शनिवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने परिवार की सुख शांति एवं निरोग रहने के लिए आंवला वृक्ष की पूजा की और नीचे बने प्रसाद का सेवन किया। पुराना स्टेशन, गायत्री शक्तिपीठ तथा सेक्टर-3 जगन्नाथ मंदिर में बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचकर पूजा अर्चना की।

इस मौके पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने सुबह आंवला वृक्ष के पास जाकर जाकर पूजा अर्चना की और कथा का श्रवण किया। पुजारी पंडित वृजेश तिवारी के अनुसार आंवला पूजा के संबंध में एक कथा प्रचलित है। किसी युग में एक वैश्य की पत्नी को पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हो रही थी। अपनी पड़ोसन के कहने पर उसने एक बच्चे की बलि भैरव देव को दे दी। इसका फल उसे उल्टा मिला। महिला कुष्ठ की रोगी हो गई। इसका वह पश्चाताप करने लगी और रोग मुक्त होने के लिए गंगा की शरण में गई। तब गंगा ने उसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला के वृक्ष की पूजा कर आंवले का सेवन करने की सलाह दी थी। जिसका महिला ने अनुसरण किया और वह रोगमुक्त हो गई। इस व्रत का पालन करने व पूजन के प्रभाव से कुछ दिनों बाद उसे दिव्य शरीर व पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उसके सभी दुख दूर हो गए। आंवला के सेवन से शरीर के विभिन्न प्रकार के रोग नष्ट होते हैं एवं रोग निरोधक क्षमता बढ़ती है। जाड़े में होने वाले रोग से बचाव के लिए यह काफी उपयोगी है। ओडिशा ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेश के प्रवासी परिवार के लोग भी आंवला नवमी पर व्रत पूजा करते हैं।

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