जानें क्‍या है हेरापंचमी, जब माता लक्ष्‍मी गुस्‍से में तोड़ेंगी जगन्नाथ जी का नंदीघोष रथ

Herapanchami 2021 महाप्रभु जगन्‍नाथ अपने भाई और बहन के साथ 9 दिवसीय यात्रा पर हैं। ऐसे में माता अकेले महाप्रभु की प्रतीक्षा कर रही हैं। ऐसे में गुंडिचा मंदिर जाकर भी जब माता लक्ष्‍मी महाप्रभु से नहीं मिल पाती तो उन्‍हें गुस्‍सा आ जाता है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Thu, 15 Jul 2021 02:36 PM (IST) Updated:Thu, 15 Jul 2021 02:40 PM (IST)
जानें क्‍या है हेरापंचमी, जब माता लक्ष्‍मी गुस्‍से में तोड़ेंगी जगन्नाथ जी का नंदीघोष रथ
ओडिशा में शुक्रवार को मनायी जाएगी हेरापंचमी

पुरी, जागरण संवाददाता। जगन्नाथ महाप्रभु अपने बड़े भाई बलभद्र, बहन देवी सुभद्रा तथा चक्रराज सुदर्शन के साथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के दिन से ही 9 दिवसीय यात्रा पर जनकपुरी (गुंडिचा) मंदिर पहुंचे हैं। शुक्रवार को महाप्रभु की हेरापंचमी नीति सम्पन्न की जाएगी। जानकारी के मुताबिक हर साल रथयात्रा में महाप्रभु भाई बहन के साथ रत्न वेदी से जन्म वेदी की यात्रा करते हैं। हालांकि इसकी जानकारी माता लक्ष्मी को नहीं होती है। जगन्नाथ मंदिर में अकेली माता लक्ष्मी चार दिन तक महाप्रभु की प्रतीक्षा करती हैं। महाप्रभु को चार दिनों तक मंदिर के अन्दर ना पाकर परेशान माता लक्ष्मी पांचवें दिन जनकपुरी (गुंडिचा मंदिर) की यात्रा करती हैं, जो इस साल शुक्रवार को करेंगी।

क्‍या है हेरापंचमी की कहानी

जनकपुरी अर्थात गुंडिचा मंदिर पहुंचने के बाद भी माता लक्ष्मी की प्रभु से मुलाकात नहीं हो पाती है,  क्योंकि प्रभु उस समय भाई-बहन के साथ भोजन कर रहे होते हैं। इस बीच महाप्रभु के पुजारी पति महापात्र वेदी के ऊपर जाकर जगन्नाथ जी के गले का हार लाकर माता लक्ष्मी को देते हैं। माता लक्ष्मी को इससे और गुस्सा हो जाता है कि मैं इतनी दूर से आयी हूं और प्रभु को मुझसे मिलने तक का समय नहीं है। गुस्सायी माता को मनाते हुए पुजारी कहते हैं कि माता जी गुस्सा मत हों प्रभु दो-तीन दिन में मंदिर में पहुंच जाएंगे। इसके बाद माता वापस आती हैं और लौटते समय गुस्से में माता जी रथ के कुछ हिस्से को तोड़ते हुए जगन्नाथ मंदिर आ जाती है। इसे हेरापंचमी कहा जाता है।

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