पारा लीगल स्वेच्छासेवी न्यायिक व्यवस्था के सेतु हैं: जस्टिस दीपक मिश्र

पारा लीगल स्वेच्छा सेवी, कानून व्यवस्था एवं हिताधिकारियों के बीच एक स

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Jul 2017 02:47 AM (IST) Updated:Tue, 25 Jul 2017 02:47 AM (IST)
पारा लीगल स्वेच्छासेवी न्यायिक व्यवस्था के सेतु हैं: जस्टिस दीपक मिश्र
पारा लीगल स्वेच्छासेवी न्यायिक व्यवस्था के सेतु हैं: जस्टिस दीपक मिश्र

जागरण संवाददाता, कटक : पारा लीगल स्वेच्छासेवी, कानून व्यवस्था एवं हिताधिकारियों के बीच एक सेतु की तरह काम कर रहे हैं। समाज के कमजोर वर्ग के लोग जोकि न्यायिक प्रक्रिया से वंचित हैं, उन्हें न्याय दिलाने में पारा लीगल स्वेच्छा सेवियों की भूमिका काफी अहम है। यह बात सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश व राष्ट्रीय कानून सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्र ने ओडिशा जुडीशियल एकेडमी में पारा लीगल स्वेच्छासेवी, जिला कानून सेवा प्राधिकरण व पैनल वकीलों के लिए आयोजित जागरूकता कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने नि:स्वार्थ सेवा जरूरतमंदों को मुहैया कराने के लिए पारा लीगल स्वेच्छासेवियों का आह्वान भी किया।

ओडिशा कानून सेवा प्राधिकरण एवं ओडिशा हाईकोर्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला में जस्टिस मिश्र ने कहा कि अगस्त महीने के अंदर पूरे देश में पारा लीगल स्वेच्छासेवियों की संख्या 90 हजार की जाएगी। उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीने में राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत 15 लाख 92 हजार 233 विचाराधीन मामलों में से 12 लाख 99 हजार 110 प्रीलिटिगेशन मामलों का फैसला हो सका है। इससे पूर्व ओडिशा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व राज्य कानून सेवा प्राधिकरण के प्रमुख सलाहकार जस्टिस विनीत शरण ने कार्यक्रम की प्रारंभिक सूचना दी। हाईकोर्ट के न्यायाधीश व राज्य कानून सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस इंद्रजीत महांती ने अतिथि परिचय दिया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस वीके नायक, डॉ. जस्टिस वीपी चौधरी, संगम साहू आदि ने अपने विचार रखे। न्यायाधीश कुमारी संजू पंडा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। राज्य कानून सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव बालकृष्ण महापात्र, सहकारी सचिव शंख चक्रवर्ती, राज्य के तमाम जिला कानून सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव, 30 जिलों के पारा लीगल स्वेच्छासेवी समेत विचार विभाग के अधिकारी व वकील कार्यशाला में शामिल थे।

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