भुवनेश्वर में बड़े पैमाने की जीएसटी ठगी का पर्दाफाश, 294 करोड़ का लगाया था चूना

GST Fraud ओडिशा के भुवनेश्‍वर में फर्जी कंपनी के नाम पर चलाए जा रहे रैकेट को जीएसटी एनफोर्समेंट स्क्वार्ड ने दबोचा है और 94 करोड़ रुपये के फर्जी बिल का पर्दाफाश किया है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Fri, 13 Mar 2020 11:40 AM (IST) Updated:Fri, 13 Mar 2020 11:40 AM (IST)
भुवनेश्वर में बड़े पैमाने की जीएसटी ठगी का पर्दाफाश, 294 करोड़ का लगाया था चूना
भुवनेश्वर में बड़े पैमाने की जीएसटी ठगी का पर्दाफाश, 294 करोड़ का लगाया था चूना

भुवनेश्वर, जेएनएन। राजधानी में बड़े पैमाने पर की गई जीएसटी ठगी मामले का पर्दाफाश हुआ है। फर्जी कंपनी के नाम पर चलाए जा रहे इस रैकेट को जीएसटी एनफोर्समेंट स्क्वार्ड ने दबोचा है। इस मामले में शामिल दो व्यापारी को गिरफ्तार करने के साथ 294 करोड़ रुपये के फर्जी बिल का पर्दाफाश किया गया है। इन दोनों अभियुक्तों ने इस फर्जी बिल के जरिए 52.76 करोड़ रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट किए थे।

इन दोनों व्यापारियों का नाम भुवनेश्वर शैल श्रीविहार साहू ट्रेडर्स के प्रोप्राइटर प्रमोद कुमार साहू एवं पटिया के विकास सरावगी शामिल हैं। कालाहांडी के 11 लोगों एवं कंधमाल के कुछ निरीह ग्रामीण लोगों के नाम पर इन दोनों अभियुक्तों ने फर्जी कंपनी बनाने के साथ एकाधिक खाते खोले थे। लोहा इनगट, लोहे की रॉड आदि सामग्री के ऊपर यह ठगी किए जाने की जानकारी जीएसटी कमिश्नर सुशील कुमार लोहानी ने दी है। 

उन्होंने कहा है कि ओडिशा जीएसटी कानून 2017 की धारा 69 के अनुसार राज्य जीएसटी आयुक्त को दी गई क्षमता के तहत इस ठगी मामले में संपृक्तअभियुक्त को धारा 132 (1) के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। संदेहयुक्त वेबिल कारोबार को जांच किए जाने के साथ खुफिया तथ्य संग्रह किए जाने के बाद 11 व्यवसायिक प्रतिष्ठान पर एक साथ छापामारी की गई। इसके बाद पता चला कि यह सब फर्जी प्रतिष्ठान हैं। विभिन्न बैंक में इस फर्जी प्रतिष्ठान के नाम पर खाते खोलकर कारोबार किए जाने की बात जांच से पता चली है। गिरफ्तार दोनों अभियुक्त सरकारी योजना में शामिल करने को कहकर कालाहांडी एवं कंधमाल के निरीह लोगों से उनके परिचयपत्र संबंधित कागजात लिए थे। 

इनका दुरुपयोग कर जीएसटी पंजीकरण करने के साथ विभिन्न बैंक में चालू खाता खोले थे। इसके साथ 48.58 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का प्रयोग कर वे खोले फर्जी व्यवसायिक प्रतिष्ठान के नाम पर फर्जी बिल के दम पर अन्य व्यवसायियों को 52.76 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट दिए है। इन दोनों फर्जी फार्मों के प्रोप्राइटरों ने स्वीकार किया है कि वे कोई भी व्यवसाय नहीं करते थे और ना ही खरीद बिक्री करते थे। रिटर्न दर्शाने वाले कारोबार केवल कागजात तक सीमित थे। चेकबुक में एवं आरटीजीएस फार्म में इन निरीह ग्रामीणों के हस्ताक्षर लेकर बैंक कारोबार कर रहे थे।

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