वोट के लिए राज्यहित की बलि चढ़ा रही बीजद सरकार

राज्य में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। राज्य के ऊपर 92 हजार

By JagranEdited By: Publish:Sat, 01 Sep 2018 03:49 PM (IST) Updated:Sat, 01 Sep 2018 03:49 PM (IST)
वोट के लिए राज्यहित की बलि चढ़ा रही बीजद सरकार
वोट के लिए राज्यहित की बलि चढ़ा रही बीजद सरकार

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : राज्य में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। राज्य के ऊपर 92 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। ओडिशा सरकार कर्ज कर घी पीने की नीति में विश्वास कर रही है और मीडिया के जरिए नई योजना कार्यकारी करने की घोषणा कर सरकार आत्मसंतुष्ट हो रही है। यह आरोप प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने लगाया है। कहा है कि बीजद सरकार वोट पाने के लिए राज्य के हित की बलि चढ़ा रही है। राज्य की जागरूक जनता इसका समय आने पर उचित जवाब देगी।

पीसीसी अध्यक्ष पटनायक ने कहा है कि नाबार्ड रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 54 प्रतिशत किसान परिवार कर्ज में डूबे हैं, मगर ओडिशा का वास्तविक चित्र अलग है। राज्य में 54 नहीं बल्कि 90 प्रतिशत से अधिक किसान कर्ज में डूबे हैं। वे विभिन्न बैंक, समवाय संस्था एवं साहूकारों से कर्ज ले रहे हैं। खेती से जो आय कर रहे हैं, उससे उनका परिवार तक नहीं चल पा रहा है फिर कर्ज कहां से भरेंगे। इसके चलते वे आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। कई किसान तो अपने सगे-संबंधियों से कर्ज लिए हैं। ऐसे में लोगों समस्या का समाधान करने के बदले सरकार केवल योजना पर योजना की घोषणा करने में लगी है।

पटनायक ने कहा कि जो किसान साहूकार एवं बैंक से कर्ज ले रहे हैं, उनके कर्ज का भुगतान न होने से वे विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित हो रहे हैं। किसानों को ठीक समय पर बीज, खाद, कीटनाशक एवं उत्पादित फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। किसानों के लिए बाजार एवं उत्पादित सामग्री रखने के लिए शीतल भंडार तक नहीं है। ऐसे में किसान हताशा भरा जीवन गुजारने को मजबूर हैं। इन सबके बावजूद किसानों के पास वैकल्पिक व्यवस्था न होने से किसान खेती करने को मजबूर हैं। ग्रामीण इलाकों में खेती योग्य जमीन खाली पड़ी है।

पटनायक ने कहा कि राज्य का कर्ज भार 92 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जो कि राज्य कि कुल जीडीपी का करीब 20.73 प्रतिशत है। पीसीसी अध्यक्ष ने कहा है कि वर्ष 2009-10 में राज्य पर कर्ज भार 37, 730 करोड़ रुपये था। यह 2014-15 में बढ़कर 43,273 करोड़ रुपये पहुंच गया एवं वर्तमान समय में यह 92 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। फिर भी ओडिशा सरकार कर्ज कर घी पीने की नीति में विश्वास कर रही है।

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