मिसाइलें करेंगी युद्ध का फैसला

अग्नि, पृथ्वी, नाग, आकाश आदि मिसाइलों को आप बखूबी जानते होंगे। लेकिन क्या आपको भारत की अन्य मिसाइलों के बारे में पता है जिनसे पड़ोसी मुल्क ही नहीं, दुश्मन देश भी खौफ खाते हें।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Jan 2019 03:47 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jan 2019 03:47 PM (IST)
मिसाइलें करेंगी युद्ध का फैसला
मिसाइलें करेंगी युद्ध का फैसला

लावा पांडे, बालेश्वर

अग्नि, पृथ्वी, नाग, आकाश आदि मिसाइलों को आप बखूबी जानते होंगे। लेकिन क्या आपको भारत की अन्य मिसाइलों के बारे में पता है, इनसे पड़ोसी मुल्क के साथ दुश्मन देश भी खौफ खाते हैं। मिसाइलों के मामलें में भारत आज बहुत आगे निकल चुका है। यहां हम आपको बताना चाहेंगे, भारत में रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) मिसाइलें बनाता है। अब तक तैयार की गई मिसाइलों में कई ऐसी मिसाइलें हैं जिनकी तकनीक एवं उपकरण विदेशों से खरीदे गए हैं। डीआरडीओ द्वारा निíमत मिसाइलें भारतीय थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना को समर्पित कर दी जाती हैं। परमाणु बम या उससे घातक बम जिसे मिसाइल या प्रक्षेपास्त्र कहा जाता है वह सैकड़ों हजारों मील तक जाकर परमाणु शक्ति संचालित ऐसे ही अस्त्र-शस्त्र हैं। इनके द्वारा परमाणु या अन्य बम भी घर पर बैठे बिठाए अंतराष्ट्रीय सीमाओं के पार पहुंचाए या गिराए जा सकते हैं। भारत ने अब तक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के सुदूर तक मार कर सकने वाली मिसाइलों का निर्माण कर मिसाइल की दुनिया में अपने आप को मील का पत्थर साबित कर चुका है। बीते साल 2018 में भारत ने करीब 2 दर्जन से ज्यादा बार छोटे राकेट लेकर अंतर महाद्वीप मिसाइलों का परीक्षण किया है।

इसी के तहत भारत की सबसे ताकतवर मिसाइल अग्नि-5 (5000 किमी. तक मारक क्षमता) का लगातार तीन-तीन बार परीक्षण कर अपने ताकत को दर्शाया है। वर्ष 2018 की शुरुआत में 18 जनवरी को अग्नि-5, 6 फरवरी को अग्नि-1, 20 फरवरी को अग्नि-2, 23 फरवरी को धनुष, 21 मई को ब्रह्मोश, 30 मई को पिनाका, 3 जून को अग्नि-5, 16 जुलाई को ब्रह्मोश, 2 अगस्त को इंटरसेप्टर, 20 सितंबर को प्रहार, 23 सितंबर को इंटरसेप्टर, 24 से 26 सितंबर को अस्त्र, 6 अक्टूबर को पृथ्वी-2, 30 अक्टूबर को अग्नि-1, 10 दिसंबर को अग्नि-5 तथा 23 दिसंबर को अग्नि-4 का सफलता पूर्वक परीक्षण किया गया है। इनमें से कई मिसाइलों का रात्रिकालीन भी सफल परीक्षण हुआ।

आज पड़ोसी देश के साथ विश्व के अधिकांश देश अपनी एवं अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार की मिसाइलों को बना रहे हैं। सभी को पता है कि आने वाला युद्ध तलवार, गोली-बंदूक या टैंक की बजाय मिसाइलों से लड़ा जाएगा। यदि आज यह कहा जाए कि मिसाइलें करेंगी युद्ध का फैसला तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

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