सामरिक संबंधों को बेहतर बनाने को सुषमा पहुंची अफगानिस्तान

अफगानिस्तान के साथ सामरिक सहयोग बढ़ाने के साथ सुरक्षा और स्थिरता जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने में अफगानिस्तान की मदद के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आज एक महत्वपूर्ण यात्रा पर अफगानिस्तान पहुंची। 2001 में तालिबान के पतन के बाद अफगानिस्तान पहले लोकतांत्रिक चुनाव के जरिए सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया में है।

By Edited By: Publish:Wed, 10 Sep 2014 02:15 PM (IST) Updated:Wed, 10 Sep 2014 02:20 PM (IST)
सामरिक संबंधों को बेहतर बनाने को सुषमा पहुंची अफगानिस्तान

काबुल। अफगानिस्तान के साथ सामरिक सहयोग बढ़ाने के साथ सुरक्षा और स्थिरता जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने में अफगानिस्तान की मदद के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आज एक महत्वपूर्ण यात्रा पर अफगानिस्तान पहुंची। 2001 में तालिबान के पतन के बाद अफगानिस्तान पहले लोकतांत्रिक चुनाव के जरिए सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया में है।

सुषमा स्वराज की अफगानिस्तान यात्रा इस लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है कि यह ऐसे समय में हो रही है जब इस वर्ष के अंत तक 'नाटो' बलों की वापसी के मद्देनजर देश में तालिबान और अल कायदा से जुड़े अन्य तत्वों के सिर उठाने की आशंकाएं बढ़ती जा रही हैं।

अफगानिस्तान इस समय 14 जून को हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव के बाद विवादास्पद दूसरे दौर के मतों की गिनती के परिणामों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। मतों की गिनती का काम पहले ही पूरा हो चुका है और परिणाम अगले कुछ दिनों में घोषित किए जा सकते हैं।

पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला अबदुल्लाऔर पूर्व वित्त मंत्री अशरफ घानी का चुनाव में कड़ा मुकाबला है और दोनों में से जो भी विजेता होगा वह राष्ट्रपति हामिद करजई का स्थान लेगा जो तकरीबन 13 साल से सत्ता में हैं।

विदेश मंत्री के रूप में अफगानिस्तान की अपनी पहली यात्रा के दौरान सुषमा कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मसलों पर करजई के साथ चर्चा करेंगी जिनमें भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहायता को और अधिक मजबूती प्रदान करना भी शामिल है।

अफगानिस्तान चाहता है कि नाटो बलों की वापसी के मद्देनजर उसके सुरक्षा तंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए भारत सैन्य उपकरणों की आपूर्ति करे। करजई इस मामले में पहले ही भारत को अपनी वांछित वस्तुओं की सूची सौंप चुके हैं।

पिछले साल दिसंबर में अपनी नई दिल्ली की यात्रा के बाद करजई ने सैन्य सहायता बढ़ाने की उनकी मांग पर भारत के जवाब को लेकर संतोष जाहिर किया था और कहा था कि इस प्रकार की आपूर्ति के संबंध में तथ्य ज्ञात जानकारी से अधिक बेहतर हैं।

अफगानिस्तान के प्रति राजग सरकार द्वारा अपनी नीति की समीक्षा किए जाने के सवाल पर सुषमा ने कहा कि इसमें बदलाव का कोई सवाल नहीं है और साथ ही उन्होंने जोर दिया कि भारत इसके पुनर्निर्माण में इसकी सहायता जारी रखेगा।

भारत अफगानिस्तान की मदद और पुनर्निर्माण में दो अरब डॉलर का निवेश कर चुका है और सैंकड़ों अफगान अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। लेकिन वह हथियारों और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति के मामले में सावधानी बरत रहा है क्योंकि यह कदम पाकिस्तान और साथ ही अफगानिस्तान में सशस्त्र समूहों को भड़का सकता है।

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