घंटों बैठे रहने से कैंसर का खतरा!

सीट से चिपक कर बैठे रहने से कैंसर के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। केवल इतना ही नहीं शारीरिक गतिविधियां कम होने से डायबिटीज, मोटापा और दिल से जुड़ी कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। हाल ही में किए गए नए शोध के अनुसार इस तरह की जीवनशैली पेट, आंत और एंडोमेट्रियल के कैंसर का कारण हो सकती है।

By Edited By: Publish:Wed, 18 Jun 2014 10:08 PM (IST) Updated:Wed, 18 Jun 2014 10:07 PM (IST)
घंटों बैठे रहने से कैंसर का खतरा!

बर्लिन। सीट से चिपक कर बैठे रहने से कैंसर के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। केवल इतना ही नहीं शारीरिक गतिविधियां कम होने से डायबिटीज, मोटापा और दिल से जुड़ी कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। हाल ही में किए गए नए शोध के अनुसार इस तरह की जीवनशैली पेट, आंत और एंडोमेट्रियल के कैंसर का कारण हो सकती है। जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ रेगंसबर्ग स्थित डिपार्टमेंट ऑफ एपीडेमियोलॉजी एंड प्रिवेंटिंग मेडिसिन के डेनियल श्मिड और माइकल एफ लिट्समन ने आराम तलब होने की आदत और कैंसर के बीच संबंध का अध्ययन किया। इस शोध के तहत शोधकर्ताओं ने 40 लाख लोगों और 68,936 कैंसर के मामलों का विश्लेषण किया। 40 लाख लोगों से उनकी जीवनशैली के संबंध में सवाल पूछे गए। आंकड़ों का अध्ययन करने पर उन्होंने पाया कि अधिक देर तक बैठे रहने से कुछ विशेष तरह के कैंसर के पनपने का जोखिम बढ़ जाता है। औसत से दो घंटा अधिक बैठे रहने से पेट के कैंसर का खतरा आठ प्रतिशत, आंत के कैंसर का खतरा छह प्रतिशत और एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा दस प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह शोध 'जर्नल ऑफ नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट' में प्रकाशित हुआ है।

हाई कोलेस्ट्रॉल की दवा रोकेगी स्तन कैंसर शोधकर्ता जल्द ही ऐसी दवा विकसित कर लेंगे जो कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने और स्तन कैंसर के इलाज में दोनों ही जगह इस्तेमाल की जा सकेगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक हमने पाया कि रसायनों के इस संयोजन में न केवल कोलेस्ट्रॉल से लड़ने वाले मॉलिक्यूल्स शामिल हैं बल्कि वह कैंसरीकृत कोशिकाओं को भी नष्ट कर सकता है। प्रयोगशाला में चूहे पर किए गए परीक्षण में इस दवा के अच्छे नतीजे सामने आए हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी में बायोमेडिकल के प्रोफेसर सलमान हैदर ने बताया कि हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवा स्तर कैंसर की कोशिकाओं पर आक्रामक प्रभाव दिखाती है। इससे ट्यूमर को बढ़ाने वाले प्रोटीन नष्ट हो गए। यह शोध जर्नल 'ब्रेस्ट कैंसर रिसर्च एंड ट्रीटमेंट' में प्रकाशित हुआ है।

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