सेना में स्कैनईगल यूएएस की संभावना तलाश रहा बोइंग नोट

पायलट रहित एयरक्राफ्ट प्रणाली के माध्यम से देश की समुद्री सीमाओं की निगरानी के द्वारा की जाएगी।

By kishor joshiEdited By: Publish:Sat, 12 Nov 2016 08:37 PM (IST) Updated:Sun, 13 Nov 2016 07:04 AM (IST)
सेना में स्कैनईगल यूएएस की संभावना तलाश रहा बोइंग नोट

नितिन प्रधान, ब्रिस्बेन। समुद्री सीमाओं की निगरानी, आतंकवादियों और तस्करों की समुद्र और जमीन के रास्ते घुसपैठ रोकने की दिशा में अत्याधुनिक पायलट रहित एयरक्राफ्ट सिस्टम (यूएएस) काफी कारगर साबित हो सकते हैं। सरकार ऐसे ही यूएएस खरीदने के लिए बोइंग समेत कई कंपनियों से बातचीत कर रही है। सरकार इसे मेक एंड बाय प्रस्ताव के तहत खरीदना चाहती है। बोइंग भी इसके कुछ हिस्सों को भारत में बनाने को लेकर सहमत है और इसके लिए भागीदार भी तलाश रहा है।

सेना और समुद्री सीमाओं की निगरानी करने वाली नौसेना व कोस्टगार्ड के लिए लंबे समय से इस तरह के अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम की जरूरत महसूस की जा रही है। खासतौर पर मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले और पाकिस्तान की तरफ से गुजरात में समुद्र के रास्ते आतंकियों की घुसपैठ की कोशिशों की बढ़ी घटनाओं ने निगरानी करने वाले इसतरह के यूएएस का महत्व बढ़ गया है।

पढ़ें-बड़े नोट बंद होने से दुबई तक हड़कंप, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा प्रभाव -

नौसेना अपनी इन जरूरतों को पूरा करने के लिए दुनिया भर में उपलब्ध विकल्पों पर विचार कर रही है। बोइंग के स्कैनईगल और इंटीग्रेटर भी इन विकल्पों में शामिल हैं। बोइंग साल 2013 में भारतीय नौसेना के समक्ष इसकी खूबियों का प्रदर्शन भी कर चुकी है। यह प्रदर्शन जहाज पर किया जाना था। लेकिन बाद में सुरक्षा कारणों से इसे जमीन पर किया गया। इसके अलावा थल सेना की जरूरतों का भी कंपनी ने अध्ययन किया है।

रबड़ की नावों और छोटे जहाजों तक का पता लगा सकता है स्कैनईगल

स्कैनईगल में लगा 360 डिग्री कैमरा 40 नॉटिकल माइल के दायरे में आने वाले संदेहास्पद व्यक्तियों, लकड़ी और रबड़ की नावों और छोटे जहाजों तक का पता लगा सकता है। रात और दिन दोनों वक्त में काम करने में कारगर स्कैनईगल 2000 से 5900 फुट की ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता रखता है और इसका संचालन 18 मीटर लंबी फिशिंग बोट से लेकर 277 मीटर लंबे बड़े जहाजों तक से किया जा सकता है। गैसोलीन और दूसरे ईंधन पर चलने में सक्षम यह यूएएस 24 घंटे निगरानी करने की क्षमता रखता है। इसकी एक खासियत यह है कि इसे 200 किलोमीटर की दूरी तक से संचालित व नियंत्रित किया जा सकता है। इंस्टीट्यूट पैसिफिक के सीनियर बिजनेस डवलपमेंट मैनेजर ब्रैड जीसमैन ने बताया कि सरकार के साथ बातचीत अभी जारी है।

अमेरिकी और आस्ट्रेलियाई नौसेना कर रही है इस्तेमाल

बोइंग का स्कैनईगल का इस्तेमाल फिलहाल अमेरिकी और आस्ट्रेलियाई नौसेना कर रही है। सरकार की नीति के मुताबिक बोइंग का इरादा स्कैनईगल के लिए भारतीय कंपनी के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम लगाने का भी है। कंपनी टाटा एडवांस सिस्टम के साथ संयुक्त उद्यम लगाने की घोषणा भी कर चुकी है। लेकिन यूएएस के लिए भागीदार कौन होगा इसकी संभावनाएं अभी बोइंग तलाश रही है। ब्रैड ने बताया, 'फिलहाल हमने बड़ी कंपनियों के साथ मुलाकात की है। लेकिन हम छोटी और मध्यम दर्जे की कंपनियों के साथ भी बातचीत करना चाहते हैं। भारत में कई ऐसी छोटी और मध्यम दर्जे की कंपनियां हैं जिनके पास बेहतरीन टेक्नोलॉजी है।'

पढ़ें- अब तक जमा हुए 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, SBI में जमा हुए 47868 करोड़

एक सवाल के जवाब में ब्रैड ने कहा कि थलसेना और नौसेना की तरफ से यूएएस को लेकर कई सवाल मिले हैं। दोनों की जरूरतें एकदम अलग-अलग हैं। सेना के दोनों अंगों ने ही इसमें रुचि दिखायी है। हालांकि यूएएस की कीमत क्या होगी इस पर बोइंग ने कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की। कीमत इस पर निर्भर करेगी कि यूएएस में कितने सेंसर, लांच व रिकवरी सिस्टम आदि हैं।

chat bot
आपका साथी