ब्लीचिंग से तबाही के कगार पर ग्रेट बैरियर रीफ

विश्व विरासत की सूची में शामिल प्रवाल भित्ति ग्रेट बैरियर रीफ ब्लीचिंग के कारण तबाही के कगार पर अा गया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Mon, 30 May 2016 04:38 PM (IST) Updated:Mon, 30 May 2016 07:40 PM (IST)
ब्लीचिंग से तबाही के कगार पर ग्रेट बैरियर रीफ

सिडनी, रायटर। यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल दुनिया की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति को ब्लीचिंग से जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके उत्तर और मध्य भाग का 35 फीसद हिस्सा तबाह हो चुका है। यहां आने वाले पर्यटकों से ऑस्ट्रेलिया को हर साल 3.59 अरब डॉलर (26,229 करोड़ रुपये) की आमदनी होती है।

पानी के ज्यादा गर्म होने पर ब्लीचिंग की घटना होती है। इसमें कोरल शैवाल को खुद से अलग कर देता है। इसके कारण वह सख्त और सफेद हो जाता है। इन परिस्थितियों में उसका क्षय शुरू हो जाता है। मामूली नुकसान पर तापमान में गिरावट आने से कोरल सामान्य अवस्था में आ जाता है, लेकिन व्यापक पैमाने पर ब्लीचिंग होने से कोरल के मूल अवस्था में लौटना मुश्किल हो जाता है। वैज्ञानिकों ने उत्तरी और मध्य भाग में बचे 65 फीसद कोरल के समय पूर्व नष्ट होने की भी आशंका जताई है। ये ब्लीचिंग के प्रभाव से खुद को बचाने में असफल साबित हो रहे हैं। ताजा रिपोर्ट से ग्रेट बैरियर रीफ के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है।

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वैज्ञानिकों का कहना है कि यूनेस्को विश्व विरासत की सूची में शामिल कोरल रीफ को लुप्तप्राय जीवों की सूची में शामिल करने पर पुनर्विचार कर सकता है। पिछले साल मई में यूनेस्को की विश्व विरासत समिति ने ग्रेट बैरियर रीफ को इस श्रेणी में शामिल करने की प्रक्रिया रोक दी थी।

ग्लोबल वार्मिग का असर

ग्लोबल वार्मिग या तापमान में वृद्धि के कारण ग्रेट बैरियर रीफ के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है। अल नीनो के प्रभाव के कारण भी यह समस्या गहराती जा रही है। इसके चलते समुद्र का तापमान बढ़ जाता है।

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