देश की बढ़ेगी शान, विश्व धरोहर बनेगा दिल्ली का लोटस टेंपल
दिल्ली सरकार में यूनेस्को में लोटस टेंपल को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए सिफारिश भेजेगी।
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार लोटस टेंपल को विश्व धरोहर का दर्जा दिए जाने की कोशिश कर रही है। दिल्ली सरकार में पर्यटन मंत्री कपिल मिश्र ने कहा कि सितंबर में सरकार यूनेस्को से लोटस टेंपल को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए सिफारिश भेजेगी।
वायु प्रदूषण से हो रहा लोटस टेंपल को नुकसान
लालकिला, कुतुब मीनार और हुमायूं का मकबरा पहले से ही विश्व धरोहरों की सूची में शामिल है। बहाई समुदाय की आस्था से जुड़े लोटस टेंपल को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की कोशिश 2015 में शुरू हुई थी। भारत स्थित बहाई राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा ने इसका प्रस्ताव दिया था।
उन्होंने इस संबंध में नामांकन दाखिल करने के लिए उन्होंने इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चरल हेरिटेज को प्रस्ताव तैयार करने के लिए नियुक्त किया था। इसे अप्रैल 2014 में यूनेस्को के विश्व धरोहरों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया था।
दिल्ली सरकार ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है और पर्यटन विभाग भी इसे आगे लेकर जाने में उत्साह दिखा रहा है। एक विशेषज्ञ के मुताबिक, लोटस टेंपल आधुनिक स्थापत्य कला का सुंदर नमूना है, लेकिन इसकी जड़ें प्राचीन भारत के धार्मिक संकेतों से जुड़ी हुई हैं। इसकी संरचना अपने आप में अलग है।
वहीं, कपिल मिश्र ने कहा कि विश्व में पर्यटकों द्वारा भ्रमण किए जाने वाले इमारतों में यह भी शामिल है। यहां ताजमहल से भी ज्यादा लोग आते हैं। दुनिया में कमल की आकृति में बनी इमारतों में और कोई भी इमारत इतनी लोकप्रिय नहीं है।
इसे 1986 में आम जनता के लिए खोला गया था। इसे बनने में एक दशक का समय लगा था। यहां आने वाले लोग अलग-अलग धर्मो के अनुयायी होते हैं। अनुमान के मुताबिक अब तक यहां 72 मिलियन लोग आ चुके हैं।