प्रेम संबंधों पर भी पड़ता है परवरिश का असर
प्रेम संबंध बनाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल उसे निभाना है। आमतौर पर आज के युवा प्रेम संबंध बना तो लेते हैं, लेकिन उसे निभाने के वादे से भी डर लगता है। यह डर कहीं न कहीं उनके बचपन के अनुभवों से भी प्रेरित होता है। इजरायल में हुए अध्ययन के मुताबिक जिन बच्चों को अभिभावकों का पूरा साथ नहीं मिल पाता, वे अक्सर वादा करने से कतराते हैं।
तेल अवीव। प्रेम संबंध बनाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल उसे निभाना है। आमतौर पर आज के युवा प्रेम संबंध बना तो लेते हैं, लेकिन उसे निभाने के वादे से भी डर लगता है। यह डर कहीं न कहीं उनके बचपन के अनुभवों से भी प्रेरित होता है। इजरायल में हुए अध्ययन के मुताबिक जिन बच्चों को अभिभावकों का पूरा साथ नहीं मिल पाता, वे अक्सर वादा करने से कतराते हैं।
तेल अवीव यूनिवर्सिटी में बॉब शैपल स्कूल ऑफ सोशल वर्क के मनोवैज्ञानिक शेरॉन डेकेल के मुताबिक बच्चों पर पूरा ध्यान न देने वाले या फिर जरूरत से ज्यादा टोका-टाकी करने वाले अभिभावकों के बच्चे अक्सर ऐसे हालातों का सामना करते हैं।
22 से 28 साल के 58 वयस्कों पर किए गए सर्वे के आधार पर यह बात कही गई है। अध्ययन में पाया गया कि करीब 22.4 फीसद सहभागी वचन बद्धता को लेकर हिचकिचाते हैं। वे अपने साथी को लेकर आश्वस्त नहीं हो पाते हैं। यह अध्ययन नर्वस एंड मेंटल डिजीज में प्रकाशित किया गया है।
यह पूरा अध्ययन अटैचमेंट [लगाव] के सिद्धांत पर आधारित है। अध्ययन के मुताबिक अगर बच्चे को पूरी देखभाल नहीं मिलती है या फिर जरूरत से ज्यादा मिलती है, तो दोनों ही सूरतों में वह ख्याल करने वालों को अनदेखा करना सीख जाता है। शोधकर्ताओं की मानें तो वयस्कों के ये लक्षण कहीं न कहीं उन के बचपन के अनुभवों से जुड़े होते हैं।
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