छोटे देश का एक बड़ा अभियान, अर्मेनियाई नरसंहार की याद में दिया जाता है औरोरा पुरस्कार

विश्व के किसी भी हिस्से में वंचितों के बीच काम करने वाले लोगों को औरोरा पुरस्कार दिया जाता है।

By Kishor JoshiEdited By: Publish:Tue, 30 May 2017 05:16 AM (IST) Updated:Tue, 30 May 2017 05:16 AM (IST)
छोटे देश का एक बड़ा अभियान, अर्मेनियाई नरसंहार की याद में दिया जाता है औरोरा पुरस्कार
छोटे देश का एक बड़ा अभियान, अर्मेनियाई नरसंहार की याद में दिया जाता है औरोरा पुरस्कार

जयप्रकाश रंजन, येरेवान (अर्मेनिया)। पूर्व सोवियत गणराज्य के छोटे से देश अर्मेनिया में एक वर्ष पहले शुरु किया गया दुनिया का सबसे बड़े परोपकारी अभियान लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण है। तकरीबन सौ वर्ष पहले ऑटोमन शासकों (मौजूदा तुर्की) ने अर्मेनिया मूल के 15 लाख लोगों की हत्या कर दी थी। इसे जर्मनी में नाजियों की हत्या के बाद दुनिया का सबसे दूसरा सबसे बड़ा नरसंहार माना जाता है लेकिन कई देश इसे अभी भी राजनीतिक वजहों से नरसंहार नहीं मानते।

दो वर्ष पहले अर्मेनिया के तीन उद्योगपतियों ने औरोरा पुरस्कार का आगाज किया जो दुनिया के किसी भी कोने में उन लोगों या संगठनों को दिया जाता है जो बेहद दुरुह परिस्थितियों में गरीबों व वंचितों के उत्थान के लिए काम करते हैं। रविवार को एक भव्य समारोह में गृहयुद्ध से ग्रस्त सूडान के एक बेहद दूर दराज के नूबा इलाके में अस्पताल चलाने वाले अमेरिकी डॉक्टर टॉम सेटाना को दिया गया।

औरोरा प्राइज के एक संस्थापक रूबेन वर्दानयन ने दैनिक जागरण को बताया कि ऑटोमन गणराज्य ने भले ही 15 लाख अर्मेनियाई लोगों का कत्लेआम किया लेकिन उस दौरान भी पूरी दुनिया में हजारों ऐसे लोग थे जिन्होंने लाखों अर्मेनियाइयों की जान बचाई। हम इस पुरस्कार के जरिए उन्हीं लोगों की हिम्मत व मानवीय वूसलों को याद करने की कोशिश कर रहे हैं। अभी भी दुनिया भर में हजारों लोग व संगठन बेहद विपरीत परिस्थितियों में दूसरे लोगों की मदद कर रहे हैं। पुरस्कार के लिए 10 लाख डॉलर की राशि उनके काम के लिए और एक लाख डॉलर की राशि व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए दी जाती है। वर्ष 2016 में पहला औरोरा पुरस्कार दिया गया था जो एक वर्ष के भीतर ही दुनिया का सबसे बड़ा परोपकारी अभियान बन गया है।

इस बार जिन पांच लोगों को अंतिम तौर पर चयनित किया गया था उसमें डॉ. सेटाना के अलावा तालिबान इलाके में मुस्लिम लड़कियों के लिए शिक्षा अभियान चला रही जमीला अफगानी, सोमालिया में आतंकियों के चंगुल से बच्चों को छुड़ा कर उन्हें योग्य इंसान बनाने में जुटी फार्तुन अदान, युद्घग्रस्त सीरिया में अस्पताल चलाने वाले मुहम्मद दार्विश और कांगों में सैनिकों के बलात्कार से पीडि़त लड़कियों के बीच काम करने वाले डॉ.डेनिस मुक्वागे शामिल हैं।

यह भी पढ़ें: विभिन्‍न मिशन में भारत ने भेजे 6,900 जवान: भारतीय आर्मी

यह भी पढ़ें: राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से जुड़ी जानकारी देने से मंत्रालय का इन्कार

chat bot
आपका साथी