योजनाएं परवान चढ़ें तो सरपट दौड़े रेल
छुक-छुक गाड़ी पटरी पर दौड़ तो रही है, लेकिन हिचकोले खाते हुए। रेल को सरपट दौड़ाने के लिए योजनाएं ढेरों बनाई गईं, लेकिन उनके क्त्रियान्वयन की गति इतनी धीमी है कि 'उम्मीदों की रेल' पटरी पर नहीं चढ़ सकी है। ऐसे में जितनी दरकार योजनाओं को बनाने की है, उससे कहीं ज्यादा उनको परवान चढ़ाने की है।
इलाहाबाद,[गिरिजेश नायक]। छुक-छुक गाड़ी पटरी पर दौड़ तो रही है, लेकिन हिचकोले खाते हुए। रेल को सरपट दौड़ाने के लिए योजनाएं ढेरों बनाई गईं, लेकिन उनके क्त्रियान्वयन की गति इतनी धीमी है कि 'उम्मीदों की रेल' पटरी पर नहीं चढ़ सकी है। ऐसे में जितनी दरकार योजनाओं को बनाने की है, उससे कहीं ज्यादा उनको परवान चढ़ाने की है। दोनों के बीच बेहतर समन्वय से ही रेल टैक पर सरपट दौड़ सकेगी। इलाहाबाद में रेलवे का बड़ा सेटअप है। यहा उत्तर मध्य रेलवे और रेल विद्युतीकरण संगठन के अलावा इंडियन रेलवे प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (आइआरपीएमयू) का भी मुख्यालय है। उत्तर मध्य रेलवे के अलावा यहा उत्तर और पूवरेत्तर रेलवे का भी तंत्र है। शहर के बीचोबीच उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद, सूबेदारगंज के साथ उत्तर रेलवे के प्रयाग, प्रयागघाट तथा पूवरेत्तर रेलवे के सिटी स्टेशन रामबाग और दारागंज स्टेशन हैं। इसमें केवल इलाहाबाद से ही प्रतिदिन करीब 40 हजार मुसाफिर सफर करते हैं। अन्य स्टेशनों को मिला लिया जाए तो यह संख्या 50 से 55 हजार तक पहुंच जाती है। इतने मुसाफिरों को आने जाने के लिए इलाहाबाद जंक्शन से करीब दो सौ टेनें, प्रयाग से दो दर्जन से अधिक और सिटी स्टेशन रामबाग से भी तकरीबन डेढ़ दर्जन गाड़िया गुजरती हैं। जो प्रमुखत : मुंबई, दिल्ली, पटना, हावड़ा, कोलकाता, इंदौर, वाराणसी, अहमदाबाद, सहारनपुर, बंगलौर, चेन्नई, लखनऊ, जम्मू, पूवरेत्तर राज्यों सहित अन्य दिशाओं में जाती हैं। टेनों और स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं में समय-समय पर इजाफा भी होता रहता है। इसके बावजूद यात्रियों को अधिक सुविधाओं की दरकार है। यात्रियों की माग को देखते हुए रेलवे ने तमाम योजनाएं बनाई हैं। बजट में उनकी घोषणा भी की गई, लेकिन ये योजनाएं गति नहीं पकड़ पा रही हैं, जिससे सुविधाएं यात्रियों तक वक्त से नहीं पहुंच पा रहीं हैं।
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