शैक्षिक वातावरण को सद्भाव जरूरी

आगरा। शिक्षा के क्षेत्र में आगरा का गौरवशाली इतिहास रहा है। विवि की सीमाएं कभी कई प्रातों तक फैली थीं, लेकिन अब हालात उलट हैं। अफसोस, होता है। कुछ ऐसा होना चाहिए, जिससे एक फिर पुराना गौरव लौट सके।

By Edited By: Publish:Sat, 13 Oct 2012 10:42 AM (IST) Updated:Sat, 13 Oct 2012 06:49 PM (IST)
शैक्षिक वातावरण को सद्भाव जरूरी

आगरा। शिक्षा के क्षेत्र में आगरा का गौरवशाली इतिहास रहा है। विवि की सीमाएं कभी कई प्रातों तक फैली थीं, लेकिन अब हालात उलट हैं। अफसोस, होता है। कुछ ऐसा होना चाहिए, जिससे एक फिर पुराना गौरव लौट सके। मेरा मानना है उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के साथ-साथ प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में भी सुधार की सामूहिक कोशिश जरूरी है, तभी उच्च शिक्षा के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

शिक्षा क्षेत्र में माहौल सद्भावनापूर्ण होना चाहिए। इसके लिए शिक्षकों, प्राचार्यो और कुलपति का जन सामान्य और विद्यार्थियों से भी सीधा संपर्क रहना चाहिए। उच्च शिक्षा के लिए जरूरी है कि कुलपति और कुलसचिव कर्मचारियों के साथ सहयोग और निष्ठा के साथ काम करें।

अधिक से अधिक लोगों से संपर्क किया जाए। कर्मचारियों और विद्यार्थियों की समस्याएं समय से हल हो जाएं। विवि के जितने विभाग हैं, उन्हें उनकी जिम्मेदारिया सौंपी जाए। विवि में प्रशासनिक समस्या है, शैक्षिक नहीं। इसलिए इसे सद्भावना पूर्ण वातावरण में सुलझाया जाना चाहिए। जब तक बाहरी हस्तक्षेप रहेगा, तब तक समस्याएं हल नहीं होंगी।

अंबेडकर विवि में जो घटनाएं हो रही हैं, वो वाकई दुखी करने वाली हैं। सबसे ज्यादा अफसोस की बात तो ये है कि अब विद्यार्थियों के रिजल्ट तक नहीं निकल पा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण विवि कर्मचारियों का काम बाहर की एजेंसियों से कराना है। जिस काम में विवि कर्मचारी सिद्धहस्त हैं, वह काम उन्हीं से कराया जाए तो तमाम समस्याएं स्वत सुलझ जाएंगी। अब यूजीसी की ग्राट को ही ले लीजिए। हर साल उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन पर्याप्त योजनाओं के अभाव में लौटा दी जाती है।

प्रो. अगम प्रसाद माथुर, [पूर्व कुलपति डॉ. बीआर अंबेडकर विवि]

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