अमेरिका ने भी माना आयशा का लोहा, गरीबी और मिर्गी को मात देकर बनीं कराटे चैंपियन

19 वर्षीय कराटे चैंपियन आयशा नूर की प्रतिभा का अमेरिका ने भी लोहा माना है।

By Bharat SinghEdited By: Publish:Fri, 24 Mar 2017 10:21 AM (IST) Updated:Fri, 24 Mar 2017 10:25 AM (IST)
अमेरिका ने भी माना आयशा का लोहा, गरीबी और मिर्गी को मात देकर बनीं कराटे चैंपियन
अमेरिका ने भी माना आयशा का लोहा, गरीबी और मिर्गी को मात देकर बनीं कराटे चैंपियन
कोलकाता, जेएनएन। झुग्गी बस्ती में पल-बढ़कर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत चुकीं कोलकाता की 19 वर्षीय कराटे चैंपियन आयशा नूर की प्रतिभा का अमेरिका ने भी लोहा माना है। गरीबी और मिर्गी की बीमारी को मात देकर कराटे की दुनिया में पहचान बना चुकीं आयशा की प्रतिभा व उनके नेक कार्यो से प्रभावित हो कोलकाता स्थित अमेरिका सेंटर ने उन्हें मेडल दे सम्मानित किया है। 
आयशा के साथ ही उनके कोच मोहम्मद अली को भी सम्मानित किया गया। सेंटर में हुए कार्यक्रम में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के निदेशक मार्क व्हाइट ने आयशा और उनके कोच को सर्टिफिकेट व मेडल दे हौसला आफजाई की। 
अमेरिका के इंडिपेंडेंट टेलीविजन सर्विस की ओर से आयशा पर बनाया गया एक घंटे का वृत्तचित्र 'वीमन एंड गल्र्स लीड ग्लोबल' का भी प्रसारण किया गया। इस मौके पर आयशा ने कहा कि दिल्ली में निर्भया गैंगरेप के बाद दूसरी महिलाओं को यौन हिंसा के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करने व कराटे की ट्रेनिंग देने का मैंने प्रण लिया। अब मैंने हर साल एक लाख लड़कियों व महिलाओं को नि:शुल्क ट्रेनिंग देने का लक्ष्य तय किया है।
दक्षिण कोलकाता के पदोपुकुर स्थित झुग्गी बस्ती में गरीब परिवार में जन्मी आयशा ने 13 वर्ष की उम्र में पिता को खो दिया था। मां ने दर्जी की दुकान पर काम कर किसी तरह तीन जनों के परिवार का गुजारा किया। आयशा को मिर्गी की बीमारी थी। गरीबी और बीमारी के बावजूद आयशा का हौसला पस्त नहीं हुआ। उनकी मां ने बेटी को कराटे का प्रशिक्षण दिलवाया। वहीं, घर की उम्मीदों पर आयशा खरी उतरीं और कराटे में ब्लैक बेल्ट पा लिया। 
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