यहां लोग मकबरे पर जूते और चप्पल मारकर मांगते हैं दुआ

आप कभी मंदिर मस्जिद जाते हैं और दुआ मांगते हैं तो वहां पर फूल चढ़ाते हैं लेकिन एक मकबरा ऐसा है जहां पर दुआ पूरी होने के लिए लोग फूल नहीं बल्कि जूते और चप्पल मारते हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Mon, 03 Oct 2016 10:00 AM (IST) Updated:Mon, 03 Oct 2016 04:13 PM (IST)
यहां लोग मकबरे पर जूते और चप्पल मारकर मांगते हैं दुआ

अभी तक आपने दुआ मांगते हुए कई लोगों को देखा होगा। लोग मजारों और मकबरों पर फूल और चादर चढ़ाकर दुआ मांगते हैं लेकिन एक मकबरा ऐसा भी है जहां पर लोग फूल और चादर नहीं चढ़ाते हैं बल्कि जूते और चप्पलों से मजार को पीटते हैं और दुआ मांगते हैं।

कभी अपने सुना है कि यात्रा को सुरक्षित रखने के लिए किसी कब्र को जूता मारना पड़ता हो लेकिन बता दें कि यूपी के इटावा में स्थित ‘चुगलखोर का मकबरा’ ऐसा ही प्रतीक है जहां पर लोग अपनी यात्रा को सुरक्षित करने के लिए इस मकबरे पर जूते और चप्पल बरसाते हैं। यहां ज्यादातर वो लोग इबादत करते हैं जो इटावा-फर्रुखाबाद-बरेली मार्ग से जा रहे होते हैं।

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सुरक्षित यात्रा के लिए मन्नत मागने के लिए कब्र पर जूते मारकर जाते हैं। कहते हैं कि इस मार्ग पर यात्रा के दौरान भूतों का साया होता है। सुरक्षा के लिए इस पांच सौ साल पुराने मकबरे पर इबादत की जाती है। एक स्थानीय युवक इकबाल ने बताया कि खुद को और अपने परिवार को भूतों से बचाने के लिए भोलू सईद की कब्र पर जूते मारते हैं।

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पुरानी मान्यताओं के अनुसार इटावा के बादशाह ने अटेरी के राजा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। बाद में इटावा के बादशाह को पता चला कि इस युद्ध के लिए उसका दरबारी भोलू सैय्यद जिम्मेदार था। सैय्यद की मौत के बाद से ही उसकी कब्र पर जूते मारने की परंपरा चली आ रही है। इससे नाराज बादशाह ने ऐलान किया कि सैय्यद को इस दगाबाजी के लिए तब तक जूतों से पीटा जाए जब तक कि उसका इंतकाल न हो जाए।

स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इटावा-बरेली मार्ग पर अपनी तथा परिवार की सुरक्षित यात्रा के लिए सैय्यद की कब्र पर कम से कम 5 जूते मारना जरूरी है।

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