दुनिया की इन विशाल प्रतिमाओं को सरदार पटेल ने कर दिया छोटा, डालें एक नजर

सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के अलावा कुछ दूसरी प्रतिमाओं पर आइये डालते हैं एक नजर।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 30 Oct 2018 04:33 PM (IST) Updated:Tue, 30 Oct 2018 09:51 PM (IST)
दुनिया की इन विशाल प्रतिमाओं को सरदार पटेल ने कर दिया छोटा, डालें एक नजर
दुनिया की इन विशाल प्रतिमाओं को सरदार पटेल ने कर दिया छोटा, डालें एक नजर

नई दिल्‍ली (जागरण स्‍पेशल)। लौह पुरुष सरदार पटेल की गुजरात में बनी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा आने वाले समय में गुजरात ही नहीं बल्कि भारत की नई पहचान बनेगी। यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है। विश्व की सबसे ऊंची इस मूर्ति की लम्बाई 182 मीटर (597 फीट) है।  इससे पहले अमेरिका की स्‍टेचू ऑफ लिबर्टी, चीन की स्प्रिंग टेंपल बुद्धा का जिक्र किया जाता था। इसके अलावा म्‍यांमार में भी भगवान बुद्ध की प्रतिमा की गिनती दुनिया की ऊंची प्रतिमाओं में की जाती है। इसकी ऊंचाई 120 मीटर है। इसका निर्माण कार्य का 31 अक्टूबर 2013 को प्रारम्भ हुआ था। इसके अलावा भी दुनिया में कुछ और ऊंची प्रतिमा भी हैं। आइये डालते हैं इन पर भी एक नजर:-

स्प्रिंग टेंपल बुद्धा : यह हेनान, चीन में 153 मीटर की ऊँचाई को मापने वाली दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। 1997 में शुरू होकर इस प्रतिमा का निर्माण वर्ष 2008 में पूरा हुआ। प्रतिमा 20 मीटर लंबे लोटस सिंहासन पर खड़ी है, जिसमें तांबे के 1100 टुकड़े शामिल हैं।वसंत मंदिर बुद्ध के निर्माण के लिए 55 मिलियन डॉलर का अनुमान लगाया गया था।

लायकुन सेटकीयर : दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा, मोन्यावा, म्यांमार में स्थित 116 मीटर की ऊंचाई पर है। लायकुन सेटकीयर का निर्माण 1996 में शुरू हुआ और 2008 में पूरा हुआ। प्रतिमा वास्तव में 13.5 मीटर सिंहासन पर खड़ी है। इस मूर्ति के अंदर एक लिफ्ट भी लगी है जहां से ऊपर जाकर सैलानी शहर की झलक भी पा सकते हैं। इसके पास में 89 मीटर लंबे बुद्धा भी देख सकते हैं।

यूशिको डायबूट्सू : यह प्रतिमा जापान के यूशिको शहर में स्थित है। इस प्रतिमा की 120 मीटर की ऊंचाई है। बुद्ध की यह प्रतिमा पूरी तरह से कांस्य से बनी है। इस मूर्ति के अंदर चार अलग-अलग स्तर हैं। एलीवेटर का उपयोग करके आगंतुक शीर्ष पर पहुंच सकते हैं। पहले स्तर पर आगंतुक संगीत सुन सकते हैं, दूसरा स्तर पूरी तरह से शास्त्रपूर्ण अध्ययन के लिए समर्पित है, तीसरा स्तर 30000 बुद्ध मूर्तियों से भरा है। शीर्ष स्तर से आगंतुक मूर्ति के परिवेश के भीतर ही सुंदर उद्यान देख सकते हैं।

भगवान बुद्ध की प्रतिमा : चीन के हैनान प्रांत में बनी भगवान बुद्ध की प्रतिमा की ऊंचाई 108 मीटर है। इस मूर्ति मे तीन अलग-अलग चेहरे हैं, यह दुनिया भर में देवी के आशीर्वाद का प्रतिनिधित्व करती है। पहला चेहरा अंतर्देशीय और दूसरे दो चेहरे समुद्र की ओर है। इस विशाल मूर्ति के पूरा होने के लिए लगभग 6 साल लगे थे। ये मूर्तियां चीनी सम्राट यान और हुआंग को मनाने के लिए बनाई गई है। इन ऊंची प्रतिमाओं का निर्माण 1987 में शुरू हुआ और यह 20 साल मे पूरा हुआ। यह मूर्तियां चीन की हेनान प्रांत मे स्थित 106 मीटर की ऊंचाई पर है। सरकार ने इन मूर्तियों के निर्माण के लिए $ 22.5 मिलियन खर्च किए। इन मूर्तियों की आंखें 3 मीटर चौड़ी हैं और नाक की लंबाई 6 मीटर है।

सेंडाइ डिकानन, 100 मीटर लंबी प्रतिमा है जो सेंडाई, जापान में स्थित है। प्रतिमा जापानी बौद्ध बोधिसत्व का प्रतिनिधित्व करती है। यह मूर्ति सेंडाई में पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, इसे शहर के कई हिस्सों से देख सकते हैं। यात्री लिफ्ट के माध्यम से प्रतिमा के शीर्ष पर पहुंच सकते हैं और पूरे शहर को देख सकते हैं।

पीटर द ग्रेट स्‍टेचू : यह मूर्ति रूसी सम्राट पीटर I की याद में बनाई गई थी, जिन्होंने देश पर 43 साल तक शासन किया था। मॉस्को शहर में मोजकेवा नदी के सामने 98 मीटर लंबी महान पीटर की मूर्ति है। इस प्रतिमा को जॉर्जियाई डिजाइनर ज़ुराब तसेरेटेली द्वारा डिजाइन किया गया था, इसमे 600 टन स्टेनलेस स्टील और कांस्य का उपयोग किया गया था।। पीटर की महान प्रतिमा का वजन 100 टन है और इसे 1997 में अनावरण किया गया था।

बुद्धा की प्रतिमा : थाईलैंड मे महान बुद्धा की प्रतिमा, देश की सबसे बड़ी प्रतिमा है, जो कि 92 मीटर की ऊंचाई को मापती है। इस प्रतिमा का निर्माण 1990 में शुरू हुआ और 2008 में पूरा हुआ। सीमेंट की पूरी मूर्ति सोने के रंग से ढंकी है। इस विशाल बुद्ध प्रतिमा का निर्माण थिवाड़ा बौद्ध धर्म के सिद्धांतों द्वारा किया गया था।

ग्रेंड बुद्धा : लांगशान पर्वत में स्थित चीन में बुद्ध की सबसे बड़ी प्रतिमा है, मूर्ति की ऊंचाई 88 मीटर है, जो पूरी तरह से कांस्य से बनी है, अौर 700 टन वजन है। 

मदर कॉल :  स्टेलिनग्राद की लड़ाई को मनाने के लिए मां की मूर्ति का निर्माण किया गया था । यह रूस के वोल्गोग्राड के औद्योगिक शहर में स्थित है। इस मूर्ति की ऊंचाई 87 मीटर है, तलवारों की लंबाई 33 मीटर है। यह मूर्ति  निकोलाई निकितिन और मूर्तिकार येवगेनी वुच्ची द्वारा डिजाइन की गयी थी। इस मूर्ति के निर्माण के लिए 7900 टन से अधिक कंकरीट का इस्तेमाल किया गया और 1967 में दुनिया को प्रस्तुत किया गया।

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