सैन्य अफसरों के ओहदा घटने का मसला हफ्तेभर में सुलझाएंगे रक्षामंत्री

रक्षा मंत्री के अनुसार, इन सैन्य अफसरों की कार्यकारी जिम्मेदारी में कुछ फेरबदल हुआ है न कि सिविल नौकरशाही की तुलना में ओहदा घटाया गया है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Tue, 25 Oct 2016 08:57 PM (IST) Updated:Tue, 25 Oct 2016 10:21 PM (IST)
सैन्य अफसरों के ओहदा घटने का मसला हफ्तेभर में सुलझाएंगे रक्षामंत्री

नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। तीनों सेनाओं के कई स्तर के अधिकारियों का ओहदा सामान्य नौकरशाही के मुकाबले एक स्तर नीचे घटाने से सैन्य अधिकारियों में पनपे रोष का हल निकालने का रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने भरोसा दिया है।

रक्षा मंत्री के अनुसार, इन सैन्य अफसरों की कार्यकारी जिम्मेदारी में कुछ फेरबदल हुआ है न कि सिविल नौकरशाही की तुलना में ओहदा घटाया गया है। इसके बावजूद कहीं कोई खामी है तो सरकार इस मामले को देखकर एक हफ्ते में समाधान निकालेगी।

नौसेना कमांडरों की कांफ्रेंस से इतर पत्रकारों से बातचीत में पर्रीकर ने यह आश्वासन दिया। बता दें कि रक्षा मंत्रालय की ओर से 18 अक्टूबर को जारी एक सर्कुलर के हिसाब से सैन्य अधिकारियों का ओहदा सेना मुख्यालय में तैनात उनके समकक्ष सैन्य अफसरों और सिविल सेवा के अधिकारियों के मुकाबले एक दर्जा नीचे कर दिया गया है। इस सर्कुलर की मंजूरी रक्षा मंत्री की ओर से होने की बात भी कही गई है। इसी को लेकर सैन्य अफसरों में नाराजगी है।

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पर्रीकर ने कहा कि वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह सर्कुलर केवल काम की जिम्मेदारी के लिहाज से है। इसका ओहदा घटाने से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार विशेष रूप से सैनिकों और सैन्य अफसरों के वेतन और मुद्दों को लेकर काफी संवेदनशील है। इसलिए अगर इस सर्कुलर में कोई खामी है तो वह इसको जरूर देखेंगे।

एंब्रेयर रिश्वत कांड में कानून के हिसाब से होगी कार्रवाई

रक्षा मंत्री ने कहा है कि एंब्रेयर विमान खरीद रिश्वत प्रकरण में अमेरिकी कानून से राहत पाने के बावजूद भारतीय कानून के तहत कंपनी पर मामला चलेगा। सीबीआइ इस सौदे में रिश्वत की जांच को आगे बढ़ाएगी। पर्रीकर के अनुसार, अमेरिकी कानून अलग है जिसके अनुसार जुर्माना चुकाकर एंब्रेयर मामले को खत्म कर लेगी। मगर भारतीय कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और हम अपने कानून के हिसाब से काम करेंगे।

उन्होंने बताया कि सरकार जल्द ही ऐसे मामलों में कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की नई नीति लेकर आएगी। रक्षा खरीद समिति की बैठक में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। पर्रीकर ने कहा कि ब्लैक लिस्ट करने की इस नीति में हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की नीति, जरूरत और हित का भी ध्यान रखेंगे। उनके मुताबिक, ब्लैक लिस्ट करते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि कंपनी ने यदि पूरा पैसा ले लिया है और उपकरण दे दिया है तो राष्ट्र हित में उसके मेनटेनेंस का मसला भी देखना पड़ेगा।

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