Weird Tax Laws: बैचलर टैक्स...टैटू टैक्स... दुनिया में वसूले जाते थे हैरान करने वाले Tax

इतिहास में कई उदाहरण हैं जहां सरकारों ने अजीबोगरीब टैक्स लगाया है। आज भी ऐसे कई टैक्स हैं जो समझ से परे हैं। किसी देश में बर्फ के टुकड़े तो किसी में ताश की गड्डी पर भी टैक्स है। जानिए ऐसे ही कुछ टैक्स जिन्हें जान आप हैरान रह जाएंगे।

By Babli KumariEdited By: Publish:Tue, 31 Jan 2023 04:10 PM (IST) Updated:Tue, 31 Jan 2023 05:20 PM (IST)
Weird Tax Laws: बैचलर टैक्स...टैटू टैक्स... दुनिया में वसूले जाते थे हैरान करने वाले Tax
दुनिया के ऐसे अजीबोगरीब टैक्स कानून जिन्हें जान हैरान हो जाएंगे आप (जागरण ग्राफिक्स)

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। देश के आम बजट से लोगों को हर बार की तरह इस बार भी टैक्स कटौती की उम्मीद है। टैक्स यानी कर एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है।

जमा हुए टैक्स की कुल राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। कानून के मुताबिक, खुद से या गलती से टैक्स भुगतान ना करने पर जुर्माना या सज़ा मिल सकती है। 

दुनिया के लगभग हर देश के नागरिक अपनी आय के मुताबिक सरकार को टैक्स देते हैं। इसके अलावा हर देश की सरकार समानों की खरीद-बिक्री पर भी एक निश्चित दर से कर वसुलती है। देश के सभी नागरिकों को सरकार द्वार लगाए गए टैक्स को देना चाहिए। क्योंकि यह देश के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है।

आपको जानकर हैरानी होगी की कई देश बर्फ का टुकड़ा खरीदने के लिए या फिर ताश की गड्डी के लिए भी टैक्स लेते हैं। आज हम आपको दुनिया के अजीबोगरीब टैक्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे।

1. देह व्यापार पर टैक्स (TAX ON DEH VYAPAAR)

भले ही देह व्यापार जर्मनी में लीगल है, लेकिन इसके लिए यहां देह व्यापार जैसे कानून बनाए गए हैं। 2004 में आए इस टैक्स कानून के तहत हर प्रॉस्टिट्यूट को शहर को 150 यूरो हर महीने देने पड़ते हैं। पार्ट टाइमर को अपने हर दिन के काम के लिए 6 यूरो चुकाने पड़ते हैं। इस देह व्यापार टैक्स की बदौलत यहां 1 मिलियन यूरो वार्षिक की आमदनी होती है।

2. बैचलर टैक्स (BACHELOR TAX)

इतिहास में ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं। जूलियस सीज़र ने इंग्लैंड में 1695 में, पीटर द ग्रेट ने बैचलर टैक्स को 1702 में लागू किया। मुसोलिनी ने भी सन् 1924 में 21 वर्ष से लेकर 50 वर्ष की आयु के बीच अविवाहित पुरुषों पर बैचलर टैक्स लगाया। इन बैचलर्स को बिना कपड़ों के बाजार में अपना ही मजाक उड़ाते हुए घूमना पड़ता था।

3. ताश के पत्ते खरीदने पर टैक्स (CARD TAX) 

अमेरिका के अलबामा में लोगों को ताश के पत्ते खरीदने या बेचने के लिए भी टैक्स देना पड़ता है। खरीदने वाले को 10 फीसदी प्रति 'ताश की गड्डी', जबकि बेचने वाले को 71 रुपये फीस के साथ ही 213 रुपये वार्षिक लाइसेंस के लिए चुकाने पड़ते हैं। हालांकि यह टैक्स सिर्फ ताश के 54 पत्ते या उससे कम खरीदने वालों पर लागू होता है।

4. टैटू टैक्स (TATOO TAX)

अमेरिकी राज्य ऑरकैंसस में अगर कोई टैटू, बॉडी पियर्सिंग या इलेक्ट्रोलीसिस ट्रीटमेंट करवाता है तो उसे स्टेट को सेल्स टैक्स के तहत 6% टैक्स देना होता है।

5. बर्फ खरीदने पर टैक्स (ICE TAX)

अमेरिका के एरिजोना में बर्फ का टुकड़ा (आइस ब्लॉक) खरीदने पर भी लोगों को टैक्स देना पड़ता है। हालांकि अगर लोग आइस क्यूब खरीदें तो उसके लिए कोई टैक्स नहीं है।

6. पालतू जानवरों पर टैक्स (PET TAX)

साल 2017 के अंत में पंजाब सरकार ने अलग-अलग पालतू जानवरों के मालिकों पर टैक्स लगाने का ऐलान किया। करों (Taxes) की दो श्रेणियां रखी गई हैं: पहला, कुत्ते, बिल्ली, भेड़, सुअर और हिरण के मालिकों से 250 रुपये प्रति वर्ष शुल्क लिया जाएगा। दूसरा, हाथी, गाय, ऊंट, घोड़ा, भैंस और बैल के लिए 500 रुपये प्रति वर्ष शुल्क लिया जाएगा।

7. फैट टैक्स (FAT TAX) 

खाने में फैट की मात्रा के हिसाब से टैक्स! यह सुनकर आपको थोड़ा अजीब तो लगेगा, लेकिन है यह सच। दरअसल, डेन्मार्क और हंगरी जैसे देशों ने चीज, बटर और पेस्ट्री जैसे हाई कैलरीज फूड पर फैट टैक्स लगाया हुआ है।

इस टैक्स के दायरे में वे सभी चीजें आती हैं, जिनमें 2.3 परसेंट से ज्यादा सेचुरेटेड फैट है। हंगरी और डेनमार्क जैसे देशों में हाल ही में यह टैक्स लगाया गया है। बेशक इस टैक्स का मकसद लोगों को ओबेसिटी और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं से बचाना है। फंडा यह है कि हैवी टैक्स की वजह से चीजें महंगी होंगी, तो लोग कम खाएंगे और उनकी सेहत दुरुस्त रहेगी।

भारत के इस राज्‍य में भी लग चुका है टैक्‍स

हंगरी ही नहीं, भारत के केरल राज्‍य में भी जंक फूड टैक्‍स के रूप में फैट टैक्‍स लगाया जा चुका है। लोगों में मोटापे की समस्‍या को कंट्रोल करने के लिए साल 2016 में केरल सरकार की ओर से रेस्‍त्रां में बर्गर, पिज्जा और पास्ता जैसी चीजों पर 14.5 पर्सेंट का फैट टैक्‍स लगाया था। भारत में फैट टैक्‍स लगाने वाला केरल पहला राज्‍य था।  उस दौरान इस टैक्‍स का काफी विरोध भी हुआ था।

8. टॉयलेट फ्लश करने पर टैक्स (TOILET FLUSH TAX)

क्या आपने कभी ये बात सोचा भी होगा कि आपको टॉयलेट में फ्लश करने के लिए भी टैक्स चुकाना पड़ सकता है? अमेरिका के मैरीलैंड में कुछ ऐसा ही होता है। यहां की सरकार टॉयलेट फ्लश के उपयोग पर लोगों से प्रति महीने करीब 355 रुपये टैक्स वसूलती है। हालांकि इन पैसों को नालों की साफ-सफाई पर खर्च किया जाता है।

आपको मालूम हो कि भारत में आयकर 24 जुलाई 1860 को सर जेम्स विल्सन द्वारा आरंभ किया गया था। यह ऐसा कर था जो चुनकर अमीरों, शाही परिवारों और ब्रिटिश नागरिकों पर लगाया जाता था और इसलिए इसे शक्तिशाली लोगों द्वारा पसंद नहीं किया जाता था।

अपने पहले वर्ष राजकोष में कुल 30 लाख रु. की राजोचित राशि जमा की गई। इसके लिए 1865 में अधिनियम समाप्त किया गया और 1867 में एक नए रूप में दोबारा लाया गया। कर की दरें स्थूल और तैयार आकलन पर आधारित थीं।

आखिर टैक्‍स क्‍यों वसूलती है सरकार?

कानूनी तौर पर हर किसी को कर का भुगतान करना है। कर यानी टैक्‍स के पैसे सरकार के खजाने में जाते हैं। जो सरकार सत्‍ता में होती है वह निर्धारित करती है कि टैक्‍स से जुटाई राशि का इस्‍तेमाल कैसे किया जाए और बजट को किस प्रकार व्‍यवस्थित किया जाए। ऐसा नहीं है कि टैक्‍स का पेमेंट करना आपके लिए ऑप्शनल  है। अगर आप इनकम टैक्‍स स्‍लैब में आते हैं तो आपको टैक्‍स का भुगतान करना ही होगा।

देश के प्रत्‍येक नागरिक को मूलभूत सुविधाएं उपलब्‍ध कराना

सरकार प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष तौर पर टैक्‍स के तौर पर राशि वसूलती है उसका इस्‍तेमाल देश की जनता के कल्‍याण के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर आप देखें तो टैक्‍स से प्राप्‍त पैसों का खर्च सरकार अस्‍पताल, सड़क, बिजली, शिक्षण संस्‍थान, गरीबों के लिए मुफ्त घर/बिजली/राशन, वाटर सप्‍लाई, कानून व्‍यवस्‍था (पुलिस प्रशासन), अग्निशमन सेवा, न्‍यायिक प्रणाली, आपदा राहत, नये पुल एवं बांधों का निर्मान एवं उनका रखरखाव और लोक कल्‍याण के लिए करती है।

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