अब दिल की बीमारी का खतरा होगा कम, यह डिवाइस पहले कर देगी सतर्क

डॉ. मांजरेकर ने कहा कि जल्द ही बाजार में नई मेडिकल डिवाइस उपलब्ध होगी। नैनो तकनीक से बनी इस चिप को पेसमेकर के बॉक्स की तरह शरीर की त्वचा के अंदर फिट कर दिया जाएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 06 Dec 2017 09:53 AM (IST) Updated:Wed, 06 Dec 2017 09:58 AM (IST)
अब दिल की बीमारी का खतरा होगा कम, यह डिवाइस पहले कर देगी सतर्क
अब दिल की बीमारी का खतरा होगा कम, यह डिवाइस पहले कर देगी सतर्क

लखनऊ (जागरण संवाददाता)। हार्ट अटैक से जान का जोखिम कम होगा। कारण, बाजार में जल्द ही एक नई मेडिकल डिवाइस आने वाली है। यह हाई रिस्क ग्रुप के मरीजों को छह घंटे पहले ही अटैक को लेकर अलर्ट कर देगी। इससे मरीज न सिर्फ समय रहते अस्पताल पहुंच सकेगा, बल्कि डॉक्टर भी दवाएं देकर उसका जीवन बचा सकेंगे। यह जानकारी केजीएमयू में आयोजित एसोसिएशन ऑफ बायोकेमिस्ट की नेशलन कॉन्फ्रेंस 'एकबीकॉन' में मंगलौर से आई डॉ. पूर्णिमा मांजरेकर ने दी। 

डॉ. मांजरेकर ने कहा कि जल्द ही बाजार में नई मेडिकल डिवाइस उपलब्ध होगी। नैनो तकनीक से बनी इस चिप का ट्रायल अंतिम दौर में है। इसे पेसमेकर के बॉक्स की तरह शरीर की त्वचा के अंदर फिट कर दिया जाएगा। चिप में शरीर के ब्लड में मौजूद मॉलीक्यूलर लेवल को मापने की क्षमता होगी। यह चिप अटैक से पहले हार्ट फैटी एसिड बाइंडिंग प्रोटीन-थ्री व मायोग्लोबिन लेवल का सामान्य से अधिक होने पर तुरंत रीडिंग कर लेगी। वहीं डिवाइस के माध्यम से मरीज को अलर्ट कर देगी। चिप में हार्ट अटैक के छह घंटे पहले आकलन कर अलर्ट करने की क्षमता है।

हाई रिस्क ग्रुप के मरीजों के लिए मददगार

डॉ. पूर्णिमा ने कहा कि अब गुणवत्तापरक इलाज के साथ-साथ बीमारी से बचाव पर फोकस किया जा रहा है। यह डिवाइस हाई रिस्क ग्रुप के हृदय रोगियों में लगाई जा सकेगी, जिन्हें अटैक पहले पड़ चुका है या फिर अटैक पड़ने का खतरा है। ऐसे मरीज समय पर अस्पताल पहुंचकर अपनी जान बचा सकेंगे। ऐसे ही किडनी, लिवर सहित अन्य अंग खराब होने के कारणों वाले मॉलीक्यूल पर शोध चल रहा है। अभी व्यक्ति को 50 फीसद किडनी खराब होने पर ही जानकारी मिल पाती है। वहीं नई तकनीक से उन्हें समय से जानकारी मिलेगी ताकि उसकी रिकवरी हो सके।

मरीजों में बढ़ रहा इंसुलिन रजिस्टेंस

पटना के डॉ. राजीव रंजन सिन्हा ने कहा कि मरीजों में इंसुलिन रजिस्टेंस की समस्या बढ़ रही है। इसका प्रमुख कारण मोटापा है। मोटापा अधिक होने पर इंसुलिन का स्राव अधिक होता है। ऐसे में रजिस्टेंस का खतरा बढ़ रहा है। लिहाजा लोगों में हार्ट व महिलाएं पॉलीसिस्टक सिंड्रोम डिजीज से पीड़ित होने लगती हैं। वहीं डायबिटीज मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में शरीर में इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में बनता तो है, लेकिन वह अपना काम नहीं करता है। इसके लक्षण गले में मा‌र्क्स बनना, महिलाओं में माहवारी अनियंत्रित होना।

सांवले लोगों में विटामिन-डी की कमी

डॉ. राजीव रंजन सिन्हा ने कहा कि देश के लोगों में विटामिन-डी की काफी कमी है। कारण, अधिकतर लोगों की त्वचा का सांवला होना है। यह त्वचा सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों को शीघ्र एब्जॉर्व नहीं करती हैं। ऐसे में व्यक्ति में विटामिन डी की कमी बनी रहती है। उन्होंने बताया कि व‌र्ल्ड लेवल पर चल रहे शोध में भारतीयों में 6,12,18 मिली ग्राम प्रति सौ एमएल विटामिन डी पाई गई। वहीं मानक कम से कम 30 से 80 मिली ग्राम प्रति सौ एमएल होना चाहिए। इस समस्या को 'इंडियन पैराडॉक्स' कहा गया है।

फाइलेरिया का प्रोटीन डायबिटीज का करेगा खात्मा

कार्यशाला में महाराष्ट्र के डॉ. श्रीधर रेड्डी को बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड से सम्मानित किया गया। डॉ. श्रीधर ने फाइलेरिया के मरीजों में बनने वाले प्रोटीन 'एएलटी' पर शोध किया। उन्होंने 150 चूहों में ग्लूकोज को इंजेक्ट कर ब्लड शुगर का लेवल बढ़ाया। वहीं बाद में इन चूहों में एएलटी प्रोटीन को इंजेक्ट कर 35 दिन तक मॉनीट¨रग की। शोध में पाया कि प्रोटीन ने पैंक्रियाज व बीटा सेल्स को एक्टिव कर दिया। इससे इंसुलिन वर्क कर ग्लूकोज को नियंत्रित करने लगी। उन्होंने बताया कि नागपुर के सेवाग्राम स्थित एमजीआइएमएस कॉलेज में इस मॉलीक्यूल प्रोटीन का ह्यूमन बेस्ड रिसर्च शुरू किया गया है।

लैबोरेटरी का तय करें स्टैंडर्ड

कार्यशाला के आयोजक डॉ. अब्बास अली मेहंदी ने कहा कि देश में लैबोरेटरी का स्टैंडर्ड बढ़ाना होगा। एसोसिएशन ऑफ बायोकेमिस्ट अब तक 10 हजार लैब को इस पहल में जोड़ चुका है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी व निजी क्षेत्र की लैब का स्टैंडर्ड तय होने से मरीजों की रिपोर्ट समान आएंगी। इस दिशा में अब युद्ध स्तर पर काम किया जाएगा। कार्यक्रम में डॉ. अब्बास को एसोसिएशन का अध्यक्ष भी नामित किया गया। कार्यशाला में कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने विशिष्ट कार्य करने वाले चिकित्सकों को सम्मानित किया। इस दौरान डॉ. मोराइस, डॉ. गस्तवो व डॉ. फेरारी मौजूद रहे।

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