लॉकडाउन में खराब हुई गंगा समेत ब्यास, चंबल, सतलज और स्वर्णरेखा नदियों की जल गुणवत्ता

सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान गंगा समेत पांच प्रमुख नदियों के जल की गुणवत्ता खराब हो गई। रिपोर्ट में इसकी वजह बिना ट्रीट किए सीवेज छोड़ने और प्रदूषक तत्वों की अधिकता को बताया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 23 Sep 2020 10:02 PM (IST) Updated:Wed, 23 Sep 2020 10:02 PM (IST)
लॉकडाउन में खराब हुई गंगा समेत ब्यास, चंबल, सतलज और स्वर्णरेखा नदियों की जल गुणवत्ता
लॉकडाउन के दौरान गंगा समेत पांच प्रमुख नदियों के जल की गुणवत्ता खराब होने की रिपोर्ट है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बुधवार को बताया कि कोरोना वायरस की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान गंगा समेत पांच प्रमुख नदियों के जल की गुणवत्ता खराब हो गई थी। बोर्ड ने इसका कारण बिना ट्रीट किए सीवेज छोड़ने, ऊपरी धारा से ताजा पानी नहीं छोड़े जाने और प्रदूषक तत्वों की अधिकता को बताया है। सीपीसीबी ने अपने 46वें स्थापना दिवस के अवसर पर जारी एक रिपोर्ट में बताया है कि लॉकडाउन के दौरान गंगा, ब्यास, चंबल, सतलज और स्वर्णरेखा नदियों की जल गुणवत्ता बाहरी स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों के मुताबिक नहीं थी।

प्रमुख नदियों की जल गुणवत्ता पर लॉकडाउन के असर के मूल्यांकन वाली इस रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो ने लॉकडाउन के दौरान 19 नदियों के जल की गुणवत्ता की जांच की और इनमें से सात नदियों के जल की गुणवत्ता में सुधार मिला। इनमें ब्राह्मणी, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, गोदावरी, कृष्णा, तापी और यमुना शामिल हैं। सीपीसीबी ने बताया कि उसने राज्य बोर्डों को गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा, ब्यास, ब्रह्मपुत्र, बैतरणी, ब्राह्मणी, कावेरी, चंबल, घग्गर, महानदी, माही, पेन्नार, साबरमती, सतलज, स्वर्णरेखा और तापी नदियों की जल गुणवत्ता का आकलन करने के लिए कहा था।

इस मूल्यांकन में 20 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने हिस्सा लिया। उक्त 19 नदियों से लिए गए पानी के नमूनों का पीएच, डिजाल्व ऑक्सीजन, बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड, फेकल कॉलिफॉर्म जैसे मानकों पर विश्लेषण किया गया। बाद में इनके निष्कर्षो की तुलना पर्यावरण (संरक्षण) नियमों, 1986 के तहत अधिसूचित बाहरी स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों से की गई। अभी हाल ही में NGT ने CPCB को पर्यावरण ऑडिट कराने और पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन करने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट से हर्जाना वसूलने का आदेश दिया था। 

chat bot
आपका साथी