बगैर सरकार की मदद के सूखा पड़ने पर ग्रामीणों ने 20 दिन में बढ़ा दिया भू-जल स्तर

इंदौर के कनाड़िया गांव में सरकार की मदद के बगैर 20 लाख रुपये खर्च कर बांध बनाया। पूरे गांव में सिर्फ एक नलकूप पानी दे रहा था अब डेढ़ सौ से ज्यादा बोरिंग रिचार्ज हो गए हैं।

By TaniskEdited By: Publish:Sat, 29 Jun 2019 08:29 PM (IST) Updated:Sat, 29 Jun 2019 08:29 PM (IST)
बगैर सरकार की मदद के सूखा पड़ने पर ग्रामीणों ने 20 दिन में बढ़ा दिया भू-जल स्तर
बगैर सरकार की मदद के सूखा पड़ने पर ग्रामीणों ने 20 दिन में बढ़ा दिया भू-जल स्तर

अभिषेक चेंडके, इंदौर। महीने भर पहले जिस गांव में सूखे जैसे हालात थे, वहां ग्रामीणों ने अपना पसीना बहाकर भू-जल स्तर बढ़ा दिया। रात-दिन जुटे ग्रामीणों ने न केवल 20 दिन में स्टॉप डैम (छोटा बांध) बना दिया, बल्कि नदी भी गहरी कर दी। अब नदी के एक किलोमीटर हिस्से में चार से पांच फीट पानी भरा हुआ है। इससे आसपास के भू-जल स्तर में भी इजाफा हो रहा है। आलम यह है कि जहां पूरे गांव में सिर्फ एक नलकूप पानी दे रहा था, वहां अब डेढ़ सौ से ज्यादा बोरिंग रिचार्ज हो गई हैं।

सिर्फ एक नलकूप ही दे रहा था पानी 
यह कहानी है मध्य प्रदेश के इंदौर से 20 किलोमीटर दूर स्थित कनाड़िया गांव की है। पिछले महीने गांव वालों ने पानी के मोल को गहराई से समझा। गांव में सिर्फ एक नलकूप ही पानी दे रहा था, बाकी सूख गए थे। आठ हजार की आबादी वाले गांव के बाशिंदे पानी के लिए इतने तरसे कि कुछ कर गुजरने की ठान ली। जलसंकट की चिंता में डूबे गांव के युवा 26 मई को एक स्थानीय धर्मशाला में बैठे और गांव की कंकावती नदी का पानी रोकने की योजना बनाई।

पहली बैठक में ही 50 हजार रुपये इकट्ठा
बैठक में किसी ने कहा कि सरकारी विभाग के भरोसे बैठे रहे तो फाइल तैयार होने, पैसा मंजूरी में ही एक-दो साल लग जाएंगे। तब तक कौन जलसंकट झेलेगा? क्यों न हम खुद ही पैसा लगाएं और बांध बनाएं। सभी इसके लिए राजी हो गए और पहली बैठक में ही 50 हजार रुपये इकट्ठा हो गए। शाम होते-होते ठेकेदार तय हो गया और अगले दिन से काम शुरू।

घर-घर से पैसा मिला
खर्च की बात आई तो घर-घर से पैसा मिलने लगा। गांव के जागीरदार परिवार ने एक लाख रुपये दिए तो किसी ने पांच हजार। पूरे गांव से 20 लाख रुपये का चंदा हो गया। नदी को गहरा करने के लिए एक पोकलेन मशीन किराए पर ली गई। दूसरी पोकलेन की व्यवस्था नगर निगम ने कर दी। खोदाई में जो मिट्टी निकली, उससे गांव की एक खाली जमीन पर भराव कर दिया। वहां अब बगीचा बनाया जाएगा।

20 दिन में तैयार हो गया बांध
बांध बनाने और नदी को गहरा करने का काम 20 दिन में पूरा हो गया, ताकि बारिश आने के पहले ही पानी रोका जा सके। ठेकेदार से रात में भी काम करवाया गया। ग्रामीण खुद भी जुटे और मानसून की आमद से पहले काम पूरा कर लिया। स्टॉप डैम वाले हिस्से में गाद हटाने के लिए एक वॉल्व भी लगाया है। दो-तीन बार हुई बारिश के बाद नदी में रुका पानी ग्रामीणों की मुस्कान का सबब बन गया है। मानसून के जाते-जाते नदी का जलस्तर और बढ़ जाएगा तो सालभर नलकूप व बोरिंग रिचार्ज होने में मदद मिलेगी।

अब पाल पर छाएगी हरियाली
ग्रामीणों ने बताया कि नदी के दोनों तरफ पाल मजबूत करने के लिए पौधरोपण किया जाएगा। 20 जुलाई को एक साथ पौधे रोपे जाएंगे। एक परिवार को पांच-पांच पौधे गोद दिए जाएंगे, ताकि उनकी निगरानी हो सके। ग्रामीणों ने तय किया है कि सरकारी मदद के बगैर अब गांव में विकास के दूसरे कामों को भी हाथ में लेंगे। जहां निजी बोरिंग हैं, वहां वाटर रिचार्जिंग का अभियान भी चलाएंगे।

गर्मी में भू-जल स्तर 500 फीट नीचे चला जाता है
कनाड़िया गांव के एक ग्रामीण मनोज चौहान ने बताया कि पिछले साल जलसंकट दूर करने के लिए दो दिन ट्रैक्टरों के साथ दो युवाओं को पानी बांटने की ड्यूटी लगाई गई थी। गर्मी के दिनों में गांव का भूजलस्तर 500 फीट से नीचे चला जाता है। अब नदी में बांध बनने के बाद जलसंकट नहीं झेलना पड़ेगा। पानी रोकने का असर अभी से नजर आ रहा है।

नदी में पानी रूका, बोरिंग रिचार्ज हुआ
कनाड़िया गांव के एक अन्य ग्रामीण राधेश्याम मंडलोई ने बताया कि मेरे घर का नलकूप (बोरिंग) सूख गया था। नदी में पानी रुकने के बाद बोरिंग में फिर पानी आ गया।

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