Positive India: दोस्‍त के साथ कोरोना से जंग में मिली जीत, जानें पूरी कहानी

कोरोना वायरस से जारी जंग के बीच लंदन से लौट रहे विमान में दो अजनबी युवकों की दोस्‍ती हुई लेकिन घर पहुंच संक्रमित पाए गए। अस्‍पताल में दोनों भर्ती हुए और फिर स्‍वस्‍थ होकर घर लौटे।

By Monika MinalEdited By: Publish:Tue, 07 Apr 2020 10:35 AM (IST) Updated:Tue, 07 Apr 2020 10:35 AM (IST)
Positive India: दोस्‍त के साथ कोरोना से जंग में मिली जीत, जानें पूरी कहानी
Positive India: दोस्‍त के साथ कोरोना से जंग में मिली जीत, जानें पूरी कहानी

रायपुर, [आकाश शुक्ला]। ये कहानी उन दो अजनबी युवकों की है जो लंदन से लौटते समय फ्लाइट में मिले। सहयात्री-सा संवाद किया फिर अपने-अपने घर पहुंच गए। कुछ दिनों बाद दोनों का स्वास्थ्य गड़बड़ हो गया। जांच कराई तो दोनों की रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव आया। संयोग ऐसा बना कि दोनों एम्स रायपुर के एक ही वार्ड में भर्ती कराए गए। इसी बीच इनकी दोस्ती गहरी हुई और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे। अब दोनों दोस्त स्‍वस्‍थ होकर अपने-अपने घर पहुंच गए हैं। रायपुर के देवेंद्रनगर निवासी 21 साल के दक्ष नथानी की जुबानी सुनिए कोरबा के उनके दोस्त संग कोरोना से जंग की कहानी:

बातें और यादें साथ थीं

लंदन में कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए पढ़ाई बीच में ही छोड़कर 18 मार्च को रायपुर लौटा। फ्लाइट में कोरबा निवासी 21 वर्षीय एक शख्स मिले। थोड़ी बहुत बातचीत हुई। रायपुर एयरपोर्ट पहुंचते ही स्क्रीनिंग के बाद हम लोग अपने-अपने गंतव्य की ओर चल दिए। मोबाइल नंबर भी एक-दूसरे का नहीं ले पाए थे, लेकिन बातें और यादें साथ थीं।

फिर मिलकर कोरोना को हराया

घर लौटने के कुछ ही दिन बाद कोरोना के लक्षण दिखे। इस बीच सैंपल टेस्ट के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई और 27 मार्च को एम्स में भर्ती हो गया। चिकित्सकों का तो साथ था, लेकिन अकेलापन बर्दाश्त नहीं हो रहा था। दो दिन बाद जैसे ही एक युवक मेरे वार्ड में लाया गया, मेरे चेहरे पर मुस्कान लौट आई। ये वही युवक था, जिससे फ्लाइट में जान-पहचान हुई थी। फिर दिन रात का साथ मिल गया। एक हौसला भी मिला, मिलकर कोरोना को हराने का। वार्ड में एक साथ रहना, खाना और इलाज.. पता ही नहीं चला कब ठीक हो कर घर पहुंच गए।

परिवार और दोस्त से मिली हिम्मत

विपरीत समय में दो ही चीजें साथ होती हैं। एक तो खुद पर विश्वास होना चाहिए और अपने साथ होने चाहिए। मेरे लिए इस संघर्ष की घड़ी में मेरा परिवार तो साथ था ही, मेरा दोस्त भी मेरी हिम्मत बना। सारे अनुभव बांटे और अस्पताल में पूरे समय साथ रहा।

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