लॉकडाउन में खेतों से उचित मूल्य पर उठ रहीं सब्जियां, किसानों की चिंता हुई दूर

COVID-19 Lockdown झारखंड के जमशेदपुर में टाटा स्टील ने मदद को हाथ बढ़ाया तो उप्र के गोरखपुर में नवउद्यमी युवकों ने विकल्प दिया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 16 May 2020 09:55 AM (IST) Updated:Sat, 16 May 2020 09:55 AM (IST)
लॉकडाउन में खेतों से उचित मूल्य पर उठ रहीं सब्जियां, किसानों की चिंता हुई दूर
लॉकडाउन में खेतों से उचित मूल्य पर उठ रहीं सब्जियां, किसानों की चिंता हुई दूर

जेएनएन, नई दिल्ली। COVID-19 Lockdown: खेतों से सब्जियां उठ रही हैं, जोमैटो, स्विगी के जरिये घरों तक पहुंच रही हैं। मददगारों की सूझबूझ से किसान, सब्जी विक्रेता और आमजन, सभी को राहत मिली है। झारखंड के जमशेदपुर में टाटा स्टील ने मदद को हाथ बढ़ाया तो उप्र के गोरखपुर में नवउद्यमी युवकों ने विकल्प दिया। पहले झारखंड की बात करते हैं। पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित बोड़ाम के किसान कार्तिक महतो ने लीज पर दो एकड़ जमीन ली है। सब्जियों की खेती इस इलाके में खूब होती है।

कार्तिक ने भी टमाटर, बैंगन, लौकी, मिर्च और मूली की खेती शुरू की। बड़े जतन से पौधों को पालकर बड़ा किया। पौधों को फलते-फूलते देख दिल बाग-बाग हुआ जा रहा था कि लॉकडाउन ने जैसे वज्रपात किया। खेत से सब्जियां बाजार जानी बंद हो गईं। जो थोड़े बहुत खरीदार मिल रहे थे, वे वाजिब दाम नहीं दे रहे थे। अब भला दो रुपये किलो टमाटर बेचकर क्या भला होने वाला था। कार्तिक ने 95 क्विंटल टमाटर खेत में ही सड़ने को छोड़ दिये।

जमशेदपुर के सामुदायिक भवन में सब्जियों को सैनिटाइज करके तौलता फाउंडेशन से जुड़ा सदस्य। जागरण

कार्तिक और उनके जैसे अनेक किसान बेबस थे कि टाटा स्टील की एक पहल ने संजीवनी का काम किया। टाटा स्टील फाउंडेशन ने पूर्वी सिंहभूम के 110 बड़े किसानों को चिन्हित किया और उनकी सब्जियों की ऑनलाइन डिलीवरी करानी शुरू की। इसके लिए जोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियों को जोड़ा गया, जो होम डिलीवरी का जरिया बनीं। प्रतिदिन इन किसानों की हजारों किलोग्राम सब्जियां जमशेदपुर शहर में लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं। फाउंडेशन के अधिकारी इन किसानों को एक-दो दिन पहले ही बता देते हैं कि डिमांड कितनी है। फिर फाउंडेशन की गाड़ी आती है और सब्जी उठा ले जाती है, जिसे जमशेदपुर के दो सामुदायिक भवनों में पहुंचाया जाता है। यहां सब्जियां सैनिटाइज की जाती हैं। इसके बाद आर्डर के हिसाब से स्विगी और जोमैटो के डिलीवरी ब्वाय इन्हें लोगों तक पहुंचा देते हैं।

इन दोनों डिलीवरी कंपनियों ने अपने एप में इसके लिए खास व्यवस्था की है। फ्रॉम द फार्मर का एक ऑप्शन जोड़ा है, जहां सब्जियों की उपलब्धता और भाव संबंधित जानकारी दी जाती है। सुबह दस से शाम छह बजे तक बुकिंग की जा सकती है। टाटा स्टील के सीएसआर विभाग प्रमुख सौरभ राय कहते हैं, लॉकडाउन में किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले और लोगों को घर बैठे उचित दाम पर सब्जी मिल जाए, यही हमारा मकसद है। अब गोरखपुर की बात। यहां भी छोटे स्तर के सब्जी कारोबारियों के सामने भुखमरी की नौबत थी। ऐसे में नवउद्यमी छात्रों के एक समूह ने उनकी चुनौतियों को अवसर में बदल दिया, उन्हें जमशेदपुर की तरह ही ऑनलाइन बाजार मुहैया करा दिया।

नतीजा यह हुआ कि शहर के 30 से अधिक परिवारों की रोजी चल निकली है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के आठ छात्रों ने करीब दो वर्ष पहले शहर में स्टूडेंट लस्सी के नाम से ऑनलाइन और ऑफलाइन व्यवसाय शुरू किया था। ऑनलाइन व्यापार में दक्ष इस समूह ने सब्जी ठेला लगाने वालों अपने नेटवर्क से जोड़ा, जिनका काम ठप हो गया था। खास बात यह है कि इन छात्रों ने सब्जी विक्रेताओं से कोई मुनाफा न लेने का संकल्प लिया। समूह के नेतृत्वकर्ता दीपक कुमार ने कहा, हमने बेहद गरीब परिवारों पर फोकस किया, जिनका जीवन संकट में आ गया था। हम जोमैटो और स्विगी के जरिये सब्जी का आर्डर लेते हैं। करीब 15 हजार की सब्जियां प्रतिदिन बिकती हैं। इसके बदले कंपनियां 10 फीसद कमीशन लेती हैं।

(जमशेदपुर से निर्मल प्रसाद और गोरखपुर से काशिफ अली की रिपोर्ट।)

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