नुकसान की भरपाई के नोटिस रद करने की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार तलब

याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से चार हफ्ते में मांगा जवाब।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sat, 01 Feb 2020 11:24 AM (IST) Updated:Sat, 01 Feb 2020 11:24 AM (IST)
नुकसान की भरपाई के नोटिस रद करने की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार तलब
नुकसान की भरपाई के नोटिस रद करने की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार तलब

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ ¨हसक प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए रिकवरी नोटिस को रद करने की मांग पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है। शुक्रवार को कोर्ट ने रिकवरी नोटिस रद करने की मांग याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

ये नोटिस न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और केएम जोसेफ की पीठ ने परवेज आरिफ टीटू की याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किए। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से चार सप्ताह में याचिका का जवाब देने को कहा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश प्रशासन ने लोगों को मनमाने ढंग से रिकवरी नोटिस भेजा है। प्रदेश में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के तय किए गए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि प्रशासन ने ऐसे व्यक्ति को रिकवरी नोटिस भेजा है जिसकी छह साल पहले 94 वर्ष की आयु में मृत्यु हो चुकी है। इसी तरह दो ऐसे लोगों की नोटिस भेजा गया है जिनकी आयु 92 वर्ष है।

याचिका में कहा गया है कि प्रशासन यह नोटिस इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के आदेश के आधार जारी कर रहा है। जबकि हाईकोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट के 2009 के फैसले में तय किए गए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में फिर अपने 2009 के दिशा-निर्देशों पर मुहर लगाई थी।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सीएए के प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए रिकवरी नोटिस जारी करने की प्रक्रिया के लिए एडीशनल डिस्टि्रक मजिस्ट्रेट को अधिकृत किया है जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि यह काम सेवानिवृत्त जज देखेंगे। कहा गया है कि हाईकोर्ट की निगरानी का मतलब है, उससे मनमानी प्रक्रिया की आशंका नहीं रहती। याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दे कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2009 और 2018 के आदेश का अनुपालन करे।

याचिका में यह भी मांग की गई है कि प्रदेश में सीएए के प्रदर्शनों की घटनाओं स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जाए। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने की इजाजत मांगी जिस पर कोर्ट ने कहा कि वह इस बारे में अर्जी दाखिल करें।

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