थमने वाली नहीं एनडी के परिजनों की रार

लखनऊ, दिल्ली और उत्तराखंड में एनडी तिवारी की संपत्ति विवाद की बड़ी वजह बनने जा रही है।

By manoj yadavEdited By: Publish:Thu, 30 Oct 2014 07:47 AM (IST) Updated:Thu, 30 Oct 2014 07:47 AM (IST)
थमने वाली नहीं एनडी के परिजनों की रार

लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की पत्नी उज्ज्वला शर्मा और उनकी पहली पत्नी स्वर्गीय सुशीला तिवारी के भाई डॉ. प्रकाश चंद्र सनवाल के बीच जवाहर लाल नेहरू नेशनल यूथ सेंटर पर कब्जे को लेकर शुरू हुई लड़ाई ने संकेत दे दिया है कि भविष्य में यह रार थमने वाली नहीं है। लखनऊ, दिल्ली और उत्तराखंड में एनडी तिवारी की संपत्ति विवाद की बड़ी वजह बनने जा रही है।

हाल के एक-दो वर्षों में लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित एनडी के आवास "आरोही" ने कई समीकरण बनाए और बिगाड़े, लेकिन नई पटकथा इस साल 15 मई से शुरू हुई। इसी दिन तिवारी ने रोहित शेखर की मां डॉ. उज्ज्वला से विधिवत शादी की। इसके पहले कोर्ट ने एनडी को उज्ज्वला के पुत्र रोहित शेखर का जैविक पिता करार दिया था। उन दिनों एनडी के साथ रहने वाले उनके ओएसडी भवानी भट्ट आरोही में प्रभावी थे। उज्ज्वला के आरोही में प्रवेश के साथ ही भवानी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

एनडी के भतीजे मनीषी तिवारी ने खुद ही अपनी राह बदल ली। फिर कुछ समय बाद रोहित शेखर भी आरोही में रहने आ गए। आरोही की कमान उज्ज्वला के हाथ में आने के बाद हक की नई लड़ाई शुरू हुई। इसका नया दृश्य 14 अगस्त को देखने को मिला जब एनडी तिवारी ने लखनऊ में पंजीकरण कार्यालय में पहुंचकर अपनी नई वसीयत की। इस वसीयत में उन्होंने राजनीतिक और पारिवारिक विरासत पत्नी उज्ज्वला और रोहित शेखर के नाम कर दी।

फिर आरोही के नए निजाम ने एनडी की संपत्ति और उनसे जुड़े दस्तावेजों की खोजबीन शुरू की। इसी कड़ी में जवाहर लाल नेहरू नेशनल यूथ सेंटर के दफ्तर का ख्याल आया। एनडी को बताया गया कि इस पर काबिज लोग कोई काम नहीं कर रहे हैं। 19 अक्टूबर को एनडी तिवारी की अध्यक्षता में एक बैठक करके नेहरू यूथ सेंटर के कार्यवाहक अध्यक्ष गोवर्द्धन रेड्डी को हटा दिया गया।

नए सिरे से कमेटी बनी और इसमें नारायण दत्त तिवारी को अध्यक्ष, एसडी शर्मा को कोषाध्यक्ष, धर्मेंद्र नाथ, पुरुषोत्तम गोयल और पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन को सदस्य बनाया गया। मंगलवार को यह कमेटी चौक स्थित केंद्र के दफ्तर पहुंची तो डॉ. प्रकाश चंद्र सनवाल ने वहां अपना हक जताया। सनवाल की दलील है कि उन्हें गोवर्द्धन रेड्डी ने दायित्व सौंपा है जबकि रोहित शेखर का कहना है कि जब गोवर्द्धन रेड्डी पद पर नहीं हैं तो उनके द्वारा सौंपे दायित्व का क्या मतलब?

यह विवाद भविष्य की ओर एक संकेत है। एनडी तिवारी का लखनऊ के महानगर में एक बंगला है। इसके अलावा दिल्ली में भी उनका आवास है। उत्तराखंड में एनडी की पैतृक संपत्ति है। वसीयत के मुताबिक उज्ज्वला और रोहित इन संपत्तियों को हासिल करने की जल्द पहल करेंगे, जबकि इन सभी जगह दूसरों का कब्जा है। महानगर के बंगले में एनडी तिवारी के भाई प्रोफेसर रमेश तिवारी रहते हैं। वह इस विषय पर कुछ भी कहना नहीं चाहते हैं। रोहित का कहना है कि मुझे संपत्ति की लालच नहीं है लेकिन पिछले चालीस साल से पापा की संपत्ति पर जो लोग कब्जा जमाए बैठे हैं और हड़पना चाहते हैं उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे।

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