Russia Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन युद्ध ने ग्लोबल इकोनॉमी को दिया बड़ा झटका, भारत पर होगा ऐसा असर

रूस विश्व का करीब 13 प्रतिशत पेट्रोलियम और 17 फीसद प्राकृतिक गैस का उत्पादन करता है। प्रतिबंधों के कारण आपूर्ति बाधित होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार ईजाफा हो रहा है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसद कच्चा तेल आयात करता है।

By TilakrajEdited By: Publish:Fri, 01 Jul 2022 03:18 PM (IST) Updated:Fri, 01 Jul 2022 06:12 PM (IST)
Russia Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन युद्ध ने ग्लोबल इकोनॉमी को दिया बड़ा झटका, भारत पर होगा ऐसा असर
तेल की महंगाई और कम होती आपूर्ति ने पूरी दुनिया को प्रभावित कर दिया

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। रुस-यूक्रेन का युद्ध (Russia Ukraine) भले ही दो देशों के बीच हो रहा है, लेकिन व्यापक परिदृश्य और परिधि में इसने दुनिया को बहुत नुकसान पहुंचाया है। दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध का असर ग्लोबल इकोनॉमी पर भी दिखने लगा है। कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) की वजह से जहां बीते दो सालों में दुनिया की इकोनॉमी चरमराई हुई थी। पोस्ट कोरोना के बाद इकोनॉमी पर मलहम लगाने का काम चल ही रहा था इस कवायद पर इस युद्ध ने पलीता लगाने का काम किया है। दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर अनुमान लगाने वाली संस्थाओं ने युद्ध से पहले जो अनुमान लगाया था उसमें गिरावट की है।

ओईसीडी, आईएमएफ, विश्व बैंक और यूएन ने युद्ध से पहले (दिसंबर21 से जनवरी 2022) के दौरान क्रमश: ग्लोबल इकोनॉमी में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 4.5, 4.4, 4.1 और 3.6 लगाया था। इसमें युद्ध के बाद के अनु्मान (मार्च से जून 2022) में गिरावट दर्ज की है। अब यह अनुमान 3,3.6, 2.9 और 2.6 है।

दुनिया भर में संकट

तेल की महंगाई और कम होती आपूर्ति ने पूरी दुनिया को प्रभावित कर दिया है। तुर्की जैसा देश गेहूं की आपूर्ति प्रभावित होने के कारण ब्रेड की कमी से जूझ रहा है। इराक जैसी बेदम होती अर्थव्यवस्थाएं गेहूं की आसमान छूती कीमतों की वजह से धराशायी होने की कगार पर है। यूरोप और अमेरिका में ट्रेड यूनियनों का आक्रामक दौर शुरु होता दिख रहा है। आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जार्जिवा ने एक बयान में कहा था कि युद्ध के चलते महंगाई और बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। बढ़ती कीमतों का असर पूरी दुनिया में दिखाई देगा। यूक्रेन और रुस वैश्विक स्तर पर गेहूं का तीस प्रतिशत, मक्के का 19 प्रतिशत और सूरजमुखी के तेल का 80 प्रतिशत निर्यात करते हैं। इस समय 45 देश फूड इनसिक्योरिटी से ग्रस्त है।

भारत पर असर

रूस विश्व का करीब 13 प्रतिशत पेट्रोलियम और 17 फीसद प्राकृतिक गैस का उत्पादन करता है। प्रतिबंधों के कारण आपूर्ति बाधित होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार ईजाफा हो रहा है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसद कच्चा तेल आयात करता है। कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने से भारत को अब अधिक डॉलर का भुगतान करना पड़ रहा है, जिससे डॉलर अधिक मजबूत और रुपया कमजोर होगा। इसका असर आयातित महंगाई के तौर पर देखने में मिल सकता है।

भारत अपनी आवश्यकता का 70 फीसद से अधिक सूरजमुखी का तेल यूक्रेन से लेता है। इसका भी प्रभाव देखने में आ रहा है।

इन सब मुसीबतों के बीच राहत की बात यह है कि एस एंड पी ग्लोबल प्लैट्स के सर्वेक्षण के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत में गेहूं का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 110 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ने की उम्मीद है। एक साल पहले ये आंकड़ा 108 मिलियन मीट्रिक टन था। गौरतलब है कि रुस दुनिया का शीर्ष गेहूं निर्यातक है। वहीं यूक्रेन इस मामले में पांचवें स्थान पर है।

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