पिछले सात साल में पुलिस फायरिंग में हर हफ्ते गई दो लोगों की जान

साल 2010 में जम्मू-कश्मीर में पुलिस की गोलीबारी की 662 घटनाएं सामने आईं, जिसमें 91 नागरिक और 17 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई।

By Tilak RajEdited By: Publish:Fri, 16 Jun 2017 12:45 PM (IST) Updated:Fri, 16 Jun 2017 12:50 PM (IST)
पिछले सात साल में पुलिस फायरिंग में हर हफ्ते गई दो लोगों की जान
पिछले सात साल में पुलिस फायरिंग में हर हफ्ते गई दो लोगों की जान

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। पुलिस का काम लोगों की सुरक्षा करना है। लोग ये उम्‍मीद करते हैं कि पुलिस मुश्किल वक्‍त में उनका मजबूत सहारा बनेगी, उनके हक के लिए लड़ेगी। लेकिन आपको ये जानकर बड़ी हैरानी होगी कि पिछले 7 सालों से पुलिस फायरिंग में हर सप्‍ताह कम से कम दो लोगों की मौत होती रही है। मतलब हर साल 100 से ज्‍यादा आमलोग पुलिस की गोली का शिकार होकर अपनी जान गंवा देते हैं। ये जानकारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्‍यूरो (एनसीआरबी) ने दी है।

साल 2009 से 2015 के बीच राष्ट्रीय अपराधों के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पुलिस गोलीबारी में औसत रूप से हर हफ्ते दो नागरिकों की मौत हो गई। यह आंकड़ा मध्‍य प्रदेश के छह किसानों की मौत के संदर्भ में प्रदान कराया गया। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में 6 जून को पुलिस ने किसानों पर गोलियां चलाई, जो फलस के लिए बेहतर कीमतों की मांग कर रहे थे।

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि साल 2009 से 2015 के बीच पुलिस की गोलीबारी में 796 आम लोग मारे गए। इस दौरान पुलिस फायरिंग के 4,747 मामले रिकॉर्ड में दर्ज हुए। हालांकि साल-दर-साल पुलिस फायरिंग में मारे जाने वाले लोगों की संख्‍या में कमी आई है। दरअसल, पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर में विरोध प्रदर्शन में गिरावट की वजह से पुलिस फायरिंग की घटनाओं में कमी आई है, जहां 2008 से 2010 के बीच गंभीर अशांति देखी गई थी।

बता दें कि साल 2010 में जम्मू-कश्मीर में पुलिस की गोलीबारी की 662 घटनाएं सामने आईं, जिसमें 91 नागरिक और 17 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई। इन घटनाओं में 494 नागरिक और 2,952 पुलिसकर्मी घायल हुए। वहीं 2015 की बात करें तो पुलिस फायरिंग की सिर्फ 156 घटनाएं ही हुईं। वहीं राज्‍य की बात करें तो 2015 में राजस्‍थान में पुलिस फायरिंग की 35 घटनाएं सामने आईं। इसके बाद महाराष्‍ट्र आता है, जो 33 घटनाएं पुलिस फायरिंग की सामने आईं। वहीं उत्‍तर प्रदेश में इसी साल पुलिस फायरिंग के 29 मामले दर्ज किए गए।

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