हाईकोर्ट में बढ़ेंगे पच्चीस फीसद जज

अदालतों में मुकदमों के बढ़ते बोझ को लेकर मोदी सरकार बेहद चिंतित है। उसका मानना है कि लंबित मामलों की तादाद में बढ़ोतरी के चलते लोगों को न्याय मिलने में देरी हो रही है। इस समस्या से निपटने के लिए फौरी कदम के तहत सरकार ने हाईकोर्ट में जजों की मौजूदा तादाद में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है।

By Edited By: Publish:Mon, 01 Sep 2014 08:05 AM (IST) Updated:Mon, 01 Sep 2014 10:22 AM (IST)
हाईकोर्ट में बढ़ेंगे पच्चीस फीसद जज

नई दिल्ली। अदालतों में मुकदमों के बढ़ते बोझ को लेकर मोदी सरकार बेहद चिंतित है। उसका मानना है कि लंबित मामलों की तादाद में बढ़ोतरी के चलते लोगों को न्याय मिलने में देरी हो रही है। इस समस्या से निपटने के लिए फौरी कदम के तहत सरकार ने हाईकोर्ट में जजों की मौजूदा तादाद में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के अनुसार, 'हाईकोर्ट में जजों के मौजूदा स्वीकृत पदों में पच्चीस फीसद बढ़ोतरी करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी गई है।'

रविवार को नेशनल लॉ स्कूल आफ इंडिया यूनिवर्सिटी के 22वें दीक्षांत समारोह में रविशंकर प्रसाद ने यह घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने मामूली मामलों के तहत जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की रिहाई के मसले का भी जिक्र किया। बकौल प्रसाद, 'जिन विचाराधीन कैदियों ने अपने अपराध के लिए निर्धारित सजा का कम से कम आधा समय जेल में गुजार दिया हो, उनकी रिहाई के लिए काूनन में संशोधन तो कर दिया गया। लेकिन अब इसे जल्द से जल्द लागू करने की जरूरत है।' कानून मंत्री के अनुसार केंद्र सरकार ने इस दिशा में काम शुरू भी कर दिया है। उन्होंने माना कि अदालतों में जजों की कमी और आधारभूत सुविधाओं के अभाव के चलते न्यायालयों में मुकदमों को ढेर बढ़ता जा रहा है। कानून मंत्री का कहना था, 'मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हाईकोर्ट के लिए स्वीकृत जजों की मौजूदा संख्या में 25 प्रतिशत वृद्धि करने का फैसला सैद्धांतिक तौर पर कर लिया गया है।' उन्होंने साथ यह भी बताया कि करीब 14 हजार अधीनस्थ न्यायालयों को कंप्यूटरीकृत करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।

ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है, जिससे जेलों में कैदियों खासकर विचाराधीन बंदियों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा। ताकि उनकी जल्द रिहाई का रास्ता साफ हो सके।

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