हाथों में तीर-कमान और हथियार लिए मनाया आदिवासी दिवस, पातालपानी में टंट्या मामा की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण

आदिवासी समाजजन पारंपरिक परिधान में जल जंगल जमीन से जुड़े पर्व की खुशियां बांटते नजर आए। जगह-जगह आयोजन हुए। इस दौरान सामूहिक नृत्य की छटा भी बिखरी। आदिवासी बहुल झाबुआ आलीराजपुर धार बड़वानी खरगोन आदि जिलों में उक्त दिवस की धूम रही।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Tue, 10 Aug 2021 01:11 AM (IST) Updated:Tue, 10 Aug 2021 01:11 AM (IST)
हाथों में तीर-कमान और हथियार लिए मनाया आदिवासी दिवस, पातालपानी में टंट्या मामा की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण
हाथों में झंडा और तीर कमान लिए पातालपानी पहुंचे हजारों आदिवासी समाजजन

महू (इंदौर), जेएनएन। समीपस्थ पातालपानी में विश्व आदिवासी दिवस उत्साह के साथ मनाया गया। पातालपानी में टंट्या मामा के मंदिर पर हजारों आदिवासियों ने पहुंच कर माथा टेका व माल्यार्पण किया। जयस अध्यक्ष द्वारा पूर्व में की गई किसी भी प्रकार की रैली नहीं करने की अपील भी नाकाम रही। इस बार तीर-कमान के साथ इनके हाथों में तलवार सहित अन्य हथियार भी थे। सौ से ज्यादा पुलिस व प्रशासन के अधिकारी व जवान भी इन्हें रोकने में नाकाम रहे।

मलेंडी नाका पर बहस

मलेंडी नाका पर आदिवासी युवाओं को रोकने व डीजे नहीं बजाने को लेकर एसडीओपी विनोद शर्मा बल के साथ मौजूद थे। यहां उन्होंने समझाने की कोशिश की, लेकिन युवाओं ने काफी बहस की। इनका कहना था कि कावड़ यात्रा क्यों नहीं रोकते? बहस के दौरान कई युवाओं ने कावड़ यात्रा और उनमें लगे डीजे की वीडियो तक दिखाने की भी बात कही। समझाइश के बाद इन्हें यहां से जाने दिया गया जबकि पातालपानी में जमा हजारों की संख्या में आदिवासी युवाओं को रोकने व समझाइश देने का प्रयास भी नहीं किया गया।

ऐसा भी हुआ इस बार

इस भीड़ में आदिवासी युवाओं ने एक नया शगूफा शुरू कर दिया। जो आने वाले समय में प्रशासन के लिए एक नई समस्या बनेगा। आदिवासी युवाओं के हाथों में जयस, टंट्या मामा, तिरंगे झंडे थे, वहीं एक युवा हाथों में एक नए नारे का झंडा लिए हुआ था जिस पर भील प्रदेश लिखा था। यह झंडा सबसे अलग होने के कारण चर्चा में रहा। साथ ही इसमें शामिल युवा यही कहते रहे कि यह रैली नहीं है। सब अलग -अलग जगह से आए जो यहां एकत्र हो गए।

गलतफहमी में लोगों ने घेर दिया मानपुर थाना!

विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर क्षेत्र के आदिवासी समाजजन मानपुर नगर में भी एकत्र हुए। इस दौरान उनका गुस्सा मानपुर पुलिस पर भी नजर आया। इसकी वजह रामपुरिया निवासी एक युवक महेश भांभर को बताया जा रहा है। महेश ने एक दिन पहले ही इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की थी, जिसमें उसने आदिवासी दिवस को खुलकर मनाने और धारा 144 को गलत बताया था। यह पोस्ट वायरल हो रही थी और मानपुर पुलिस इस बारे में उससे पूछताछ करने के लिए उसके घर पहुंची लेकिन वह घर से भाग गया।

इसके बाद में महेश सोमवार को रैली में शामिल था। उसने रैली में शामिल अपने लोगों से कहा कि पुलिस ने उसके घर पहुंचकर स्वजन के साथ गलत बर्ताव किया है। इसके बाद समाजजनों ने थाने का घेराव कर दिया। कुछ युवाओं ने पुलिस के 100 डायल वाहन का एक कांच भी फोड़ दिया। प्रदर्शन के चलते मानपुर फोरलेन पर एक हिस्से में करीब एक घंटे जाम लगा रहा। बाद में पुलिस ने उक्त वीडियो दिखाकर समाजजनों को असली बात बताई और कुछ देर बाद वे वहां से चले गए। इस मामले में पुलिस अब महेश पर प्रकरण दर्ज कर रही है।

प्राचीन परंपरा के बिखरे रंग.. पारंपरिक नृत्य ने बांधा समां

मालवा-निमाड़ अंचल के आदिवासी बहुल जिलों में सोमवार को विश्व आदिवासी दिवस पर उत्सव का उल्लास छाया रहा। आदिवासी समाजजन पारंपरिक परिधान में जल, जंगल, जमीन से जुड़े पर्व की खुशियां बांटते नजर आए। जगह-जगह आयोजन हुए। इस दौरान सामूहिक नृत्य की छटा भी बिखरी। आदिवासी बहुल झाबुआ, आलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन आदि जिलों में उक्त दिवस की धूम रही।

-आलीराजपुर में ग्राम आंबुआ में समग्र आदिवासी समाज की ओर से जिला स्तरीय आयोजन किया गया। यहां हजारों की तादाद में लोग एकत्र हुए और प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लिया।

-झाबुआ में भी ढोल-मांदल की गूंज और बांसुरी की तान पर समाजजन जमकर थिरके। जगह-जगह चल समारोह निकाले गए।

-बड़वानी में रैली के बाद कृषि मंडी में पारंपरिक तरीके से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्वजों की पूजा-अर्चना की।

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