घटिया सड़कों पर टोल होगा कम

टोल टैक्स से परेशान लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। सरकार ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रही है जिसके तहत बन रही या अधूरी सड़कों पर सामान्य से कम टोल टैक्स वसूलने की इजाजत होगी। खराब सड़कें बनाने वाली कंपनियों को भी इसी हथियार से दंडित किया जाएगा। इस बात के संकेत केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं

By Edited By: Publish:Mon, 23 Sep 2013 10:32 PM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2013 10:45 PM (IST)
घटिया सड़कों पर टोल होगा कम

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। टोल टैक्स से परेशान लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। सरकार ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रही है जिसके तहत बन रही या अधूरी सड़कों पर सामान्य से कम टोल टैक्स वसूलने की इजाजत होगी। खराब सड़कें बनाने वाली कंपनियों को भी इसी हथियार से दंडित किया जाएगा।

इस बात के संकेत केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग सचिव विजय छिब्बर ने दिए हैं। सोमवार को वह फिक्की की ओर से आयोजित इन्फ्रास्ट्रक्चर सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि टोल दरों में कमी की शर्त को कन्सेशन एग्रीमेंट में शामिल किया जा सकता है। इससे सड़क बनाने वाली कंपनियों को घटिया निर्माण का नतीजा पहले से पता रहेगा और वे बेहतर सड़क बनाएंगी। छिब्बर ने सड़क परियोजनाओं के साथ आने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन परियोजनाओं के साथ विवाद आम हैं। इसीलिए मंत्रालय सड़क क्षेत्र के लिए नियामक के गठन पर विचार कर रहा है। नियामक विवादों के समाधान में अहम भूमिका निभा सकता है। कांट्रैक्ट की शर्ते, टोल की दरें, निर्माण के मानक निर्धारित करने में भी उसकी अहम भूमिका हो सकती है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पहले ही बजट में नियामक के गठन की घोषणा कर चुके हैं। यह अलग बात है कि योजना आयोग के विरोध के बाद अब तक इस दिशा में प्रगति नहीं हो सकी है।

सम्मेलन को आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने भी संबोधित किया। उन्होंने भी सड़क नियामक के गठन की पैरवी की। साथ ही कहा कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) वाली परियोजनाओं के मामले में सरकार के लिए निगरानी करना संभव नहीं होता। इसीलिए नियामक जरूरी है, जो न केवल परियोजनाओं की समीक्षा कर सकता है, बल्कि सुधारात्मक उपाय लागू करने के लिए निजी कंपनियों को बाध्य करने में भी उसकी अहम भूमिका हो सकती है।

राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की रफ्तार और टोल नीति को लेकर यूपीए सरकार की आलोचना होती रही है। सरकार पर हर दिन 20 किलोमीटर सड़कें बनाने में विफल रहने का आरोप है। इसके अलावा सड़क बनने से पहले या अधूरी सड़क पर टोल वसूलने की इजाजत देने के लिए भी सरकार को कोसा जाता रहा है। नियामक का गठन होने से सरकार इन आलोचनाओं की जद में सीधे आने से बच जाएगी।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

chat bot
आपका साथी